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Reform in Higher Education: क्या UGC, AICTE और NCTE को मिलाकर बनेगा एक सिंगल रेगुलेटर, कैबिनेट ने कौन से बिल को दी मंजूरी

केंद्र सरकार ने विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण बिल को मंजूरी दी है। इससे UGC, AICTE और NCTE मिलकर एक सिंगल हायर एजुकेशन रेगुलेटर बनेंगे, जिससे उच्च शिक्षा प्रणाली ज्यादा सरल और पारदर्शी होगी।

SYED BUSHRA by SYED BUSHRA
December 13, 2025
in राष्ट्रीय
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Major Reform in Higher Education: भारत के हायर एजुकेशन सिस्टम में एक बड़ा और ऐतिहासिक बदलाव होने जा रहा है। शुक्रवार को केंद्र सरकार की कैबिनेट ने ‘विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण बिल’ को मंजूरी दे दी है। इस बिल के लागू होने के बाद देश में उच्च शिक्षा से जुड़े तीन बड़े रेगुलेटर—UGC, AICTE और NCTE—को मिलाकर एक ही सिंगल हायर एजुकेशन रेगुलेटर बनाया जाएगा।

दरअसल, इस कानून को पहले हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया (HECI) बिल कहा जा रहा था, लेकिन अब इसका नाम बदलकर विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण बिल कर दिया गया है। यह कदम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत उठाया गया है, जिसका मकसद उच्च शिक्षा व्यवस्था को सरल, पारदर्शी और प्रभावी बनाना है।

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क्या होगा नया बदलाव

अभी तक देश में उच्च शिक्षा के लिए अलग-अलग संस्थाएं काम कर रही हैं।
UGC नॉन-टेक्निकल हायर एजुकेशन को देखता है,

AICTE टेक्निकल और इंजीनियरिंग शिक्षा की निगरानी करता है,

जबकि NCTE शिक्षक शिक्षा से जुड़े संस्थानों को नियंत्रित करता है।

नए कानून के लागू होने के बाद ये तीनों संस्थाएं खत्म नहीं होंगी, बल्कि उनकी जगह एक सिंगल रेगुलेटर लेगा, जो पूरे हायर एजुकेशन सेक्टर को देखेगा।

मेडिकल और लॉ कॉलेज बाहर रहेंगे

सरकार ने साफ किया है कि मेडिकल और लॉ कॉलेज इस नए रेगुलेटर के दायरे में नहीं आएंगे। इनके लिए अलग-अलग नियामक संस्थाएं पहले की तरह काम करती रहेंगी। नया रेगुलेटर मुख्य रूप से विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों पर लागू होगा।

सिंगल रेगुलेटर की जिम्मेदारियां

इस नए रेगुलेटर की तीन मुख्य भूमिकाएं होंगी।

शिक्षा संस्थानों का नियमन

मान्यता देना

प्रोफेशनल और अकादमिक स्टैंडर्ड तय करना

हालांकि, फंडिंग को फिलहाल इसके दायरे में नहीं लाया गया है। कॉलेज और यूनिवर्सिटी को मिलने वाली फंडिंग का नियंत्रण संबंधित मंत्रालय के पास ही रहेगा।

इससे क्या फायदा होगा

सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, सिंगल रेगुलेटर बनने से फैसले जल्दी होंगे और प्रक्रियाएं आसान होंगी। सरकारी और निजी दोनों तरह के संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता और छात्रों के सीखने के नतीजों पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। इससे नियमों का बोझ कम होगा और पारदर्शिता बढ़ेगी।

पहले भी हो चुकी है कोशिश

HECI को लेकर 2018 में भी एक ड्राफ्ट बिल लाया गया था, लेकिन तब यह लागू नहीं हो सका। बाद में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 2021 में इस विचार को दोबारा आगे बढ़ाया। NEP-2020 में भी साफ कहा गया है कि हायर एजुकेशन को मजबूत करने के लिए रेगुलेटरी सिस्टम में बड़े सुधार जरूरी हैं। अब कैबिनेट की मंजूरी के बाद माना जा रहा है कि देश की उच्च शिक्षा व्यवस्था एक नए दौर में प्रवेश करने जा रही है।

Tags: Higher Education Reform IndiaSingle Education Regulator
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