इस IPS ने मोहन भागवत की गिरफ्तारी के दिए थे आदेश, ATS अफसर ने किया इंकार तो बर्बाद कर दिया गया कॅरियर

Malegaon Bomb Blast Case: मालेगांव बम ब्लास्ट केस में आईपीएस परमवीर सिंह ने आरएसएस चीफ मोहन भागवत की गिरफ्तारी के दिए थे आदेश।

नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। आजाद भारत में पहली बार रची गई थी भगवा आतंक की साजिश। दिल्ली में तैयार किया गया था प्लान। आरएसएस, विहिप और बजरंदबल के बड़े नेताओं को हिन्दू आतंकवादी घोषित करने के षणयंत्र को कामयाब बनाने के लिए तैयार की गई थी आईपीएस अफसरों की फौज। हुक्म मिला तो पुलिस ने मालेगांव बम प्लास्ट केस में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और आर्मी के कर्नल समेत 11 लोगों को बना दिया हिन्दू टेररिस्ट। सभी को किया अरेस्ट और साजिश को कामयाब बनाने के लिए सभी को दी गई थी ‘थर्डडिग्री’। पुलिस के टारगेट पर थे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत। एक आईपीएस अफसर ने एटीएस को मोहन भागवत की गिरफ्तारी के दिए थे आदेश। एटीएस के जांबाज अफसर ने कार्रवाई करने से किया इंकार तो उस पर गिरा दी गाज और दर्ज करा दिए अनगिनत मुकदमे।

मालेगांव बम ब्लास्ट को लेकर एक सनसनीखेज खुलासा किया गया है। ये खुलासा किसी और ने नहीं किया, बल्कि एटीएस के जांच अधिकारी महबूब मुजावर ने किया है। महबूब मुजावर ने बताया है कि मालेगांव ब्लास्ट के बाद उस समय के जांचकर्ता अधिकारी परमवीर सिंह और उनके ऊपर के आला अधिकारियों ने मुझे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) चीफ मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के आदेश दिए थे। उन्होंने यह भी बताया कि देश में भगवा आतंकवाद के कॉन्सेप्ट को सिद्ध करने के लिए उन पर गलत जांच करने का दबाव बनाया गया था। मुजावर ने कहा कि मैंने इसका विरोध किया। क्योंकि मैं गलत काम करना नहीं चाहता था। लेकिन मेरे खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए गए। पर मैं इन सभी मामलों में बरी हो गया। 2008 में नेताओं के इशारे पर पुलिस ने भगवा आतंक की थ्योरी को गढ़ा। पुलिस हिन्दू संगठन से जुड़े नेताओं को सलाखों के पीछे भेजना चाह रही थी।

मुजावर ने कहा कि उन्होंने मुझ पर दबाव बनाया कि मैं मारे गए लोगों को चार्जशीट में जिंदा बताऊं। जब मैंने इससे इनकार किया तो उस समय के आईपीएस अधिकारी परमवीर सिंह ने मुझे झूठे मामले में फंसा दिया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद चाहे भगवा हो या हरा, समाज के लिए सही नहीं है। मुजावर ने ये भी कहा कि वह मालेगांव ब्लास्ट मामले में कोर्ट के फैसले से खुश हैं। महबूब मुजावर ने कहा कि आईपीएस परमवीर सिंह दिल्ली दरवार के इशारे पर काम कर रहे थे। एक नेता के कहने पर उन्होंने भगवा आतंक की थ्योरी को इजाद किया। दिल्ली के इशारे पर आरएसएस प्रमुख को सलाखों के पीछे भेजने पर तुले थे। इसकी जानकारी आरएसएस के कुछ नेताओं को भी थी। मुजावर के मुताबिक, भागवत को गिरफ्तार करने के ऑर्डर का मकसद ’भगवा आतंकवाद’ की थ्योरी का स्थापित करना था। इस पूरे खेल में आईपीएस परमवीर ने अहम रोल निभाया। मेरी मांग है कि परमवीर पर मुकदमा दर्ज किया जाए।

मुजावर ने बताया है कि मालेगांव ब्लास्ट केस में कोर्ट के फैसले ने एटीएस के फर्जीवाड़े को नकार दिया है। मुजावर ने आगे कहा इस फैसले ने एक फर्जी अधिकारी द्वारा की गई फर्जी जांच को उजागर कर दिया है। महबूब मुजावर ने बताया है कि वह इस ब्लास्ट की जांच करने वाली एटीएस टीम का हिस्सा थे। मुजावर ने बताया कि उन्हें मोहन भागवत को ‘पकड़ने के लिए कहा गया था। मुजावर ने कहा मैं यह नहीं कह सकता कि एटीएस ने उस समय क्या जांच की और क्यों लेकिन मुझे राम कलसांगरा, संदीप डांगे, दिलीप पाटीदार और भागवत जैसी हस्तियों के बारे में कुछ गोपनीय आदेश दिए गए थे। ये सभी आदेश ऐसे नहीं थे कि उनका पालन किया जा सके। पूर्व इंस्पेक्टर महबूब मुजावर ने बताया कि मेरा 40 साल का कैरियर बर्बाद कर दिया गया। उन्होंने दावा किया कि मैंने आदेश का पालन नहीं किया और मोहन भागवत को गिरफ्तार नहीं किया क्योंकि उन्हें हकीकत पता थी। मुजावर ने बताया, मोहन भागवत जैसी बड़ी हस्ती को पकड़ना मेरी क्षमता से परे था।

अब हम आपको बताते हैं कि क्यों मुजावर 17 साल के बाद बोले। दरअसल, 2008 के मालेगांव बम धमाके मामले में अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत और गवाह मौजूद नहीं हैं। अदालत ने कहा कि सिर्फ नैरेटिव के आधार पर किसी को दोषी करार नहीं दिया जा सकता। जस्टिस एके लाहोटी ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता क्योंकि कोई भी धर्म हिंसा की वकालत नहीं करता। अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड में ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे यह सिद्ध हो सके कि कर्नल पुरोहित आरडीएक्स लाए थे या बम को असेंबल किया गया था। इसके भी पुख्ता सबूत नहीं हैं कि अपराध में इस्तेमाल बाइक साध्वी प्रज्ञा का था। घटना के बाद किसने पथराव किया और पुलिसकर्मी की बंदूक किसने छीनी। इसका भी कोई स्पष्ट प्रमाण मौजूद नहीं है।

 

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