Mamata Banerjee Skips NITI Aayog : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का नीति आयोग की बैठक में हिस्सा न लेना एक बार फिर से राज्य की सियासत को गर्म कर गया है। शनिवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई इस अहम बैठक में ममता की गैरमौजूदगी को लेकर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। हालांकि आधिकारिक तौर पर उनकी ओर से कोई कारण नहीं बताया गया है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस से जुड़े सूत्रों ने इसके पीछे की वजह स्पष्ट की है।
बताया जा रहा है कि ममता बनर्जी पिछली बार जब नीति आयोग की बैठक में शामिल हुई थीं, तब उन्हें अपने संबोधन के दौरान बीच में ही रोक दिया गया था। ममता ने आरोप लगाया था कि उनके बोलते समय माइक बंद कर दिया गया था और उन्हें बंगाल से जुड़े मुद्दों को उठाने की अनुमति नहीं दी गई। इस अपमानजनक व्यवहार से नाराज होकर उन्होंने बैठक बीच में ही छोड़ दी थी। यही कारण है कि इस बार उन्होंने बैठक से दूरी बनाए रखी।
बैठक के दौरान पीएम मोदी ने क्या कहा ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक के दौरान ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य को लेकर राज्यों के मुख्यमंत्रियों से चर्चा की और कहा कि जब राज्य प्रगति करेंगे तभी देश समग्र रूप से आगे बढ़ेगा। लेकिन ममता बनर्जी की अनुपस्थिति ने बैठक की राजनीतिक गूंज बढ़ा दी है। भाजपा ने ममता बनर्जी के इस कदम पर तीखा प्रहार किया है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि मुख्यमंत्री ने पिछले वर्ष माइक बंद किए जाने का जो आरोप लगाया था, उसे किसी भी अधिकारी ने पुष्टि नहीं की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि ममता का यह रवैया राज्य की पिछड़ी स्थिति को और खराब कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि बंगाल में लाखों प्रवासी मजदूर हैं और राज्य से प्रतिभाएं पलायन कर रही हैं।
तृणमूल कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर बोला हमला
तृणमूल कांग्रेस ने ममता के निर्णय का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। पार्टी नेता जयप्रकाश मजूमदार ने कहा कि जब नीति आयोग जैसे मंच पर संघीय ढांचे का सम्मान नहीं होता और किसी मुख्यमंत्री को बोलने तक नहीं दिया जाता, तो ऐसी बैठक में हिस्सा लेना व्यर्थ है। उन्होंने कहा, “क्या मुख्यमंत्री वहां अपमानित होने जाएंगी? जब बंगाल की उपेक्षा की बात करने तक नहीं दी जाती, तो ऐसी बैठकों का क्या औचित्य है?”
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जयप्रकाश ने यह भी कहा कि पिछली बार जैसी दुर्भाग्यपूर्ण और अपमानजनक घटना पहले कभी नहीं हुई थी, और न ही उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी किसी बैठक में तटस्थ माहौल मिलेगा। ममता बनर्जी ने एक बार फिर यह संदेश दिया है कि जब तक बंगाल की आवाज को सम्मान नहीं मिलेगा, तब तक वह ऐसे मंचों का हिस्सा नहीं बनेंगी।