नई दिल्ली आनलाइन डेस्क। दिल्ली से एकबार फिर अगस्त पार्ट टू का शंखनाद हो सकता है। पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह 6 साल के बाद फिर से फुल एक्टिव हैं और जम्मू-कश्मीर को लेकर बड़ा फैसला कर सकते हैं। इसके पीछे की वजह बताई जा रही है पीएम मोदी की राष्ट्रपति से मुलाकात। ये खबर तब और पुख्ता हुई, जब गृहमंत्री अमित शाह राष्ट्रपति भवन जाकर महामहिम से मिले। ऐसे में कयास लगने लगे हैं कि 12 से 15 अगस्त के बीच कुछ बड़ा हो सकता है, लेकिन क्या होने वाला है इस बात की आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं मिल रही है।
दरअसल, इस खबर को लेकर तब से अटकलों का बाजार गर्म है, जब रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। वहीं, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने हाल ही में गुजरात के केवड़िया का दौरा किया। इतना ही जम्मू-कश्मीर के ऑल जम्मू-कश्मीर शिया एसोसिएशन के अध्यक्ष इमरान रजा अंसारी ने दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि जम्मू-कश्मीर को लेकर कुछ बड़ा हो सकता है। लेकिन क्या हो सकता है। इसको लेकर सस्पेंस बरकरार है। कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल सकता है। ऐसी अफवाहों से सोशल मीडिया पटा पड़ा है। लोग अपने-अपने तर्क दे रहे हैं। टीवी में भी एंकर माथापच्ची करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
दरअसल, जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने एवं राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का फैसला 5 अगस्त की तारीख को हुआ था। तब साल 2019 था। तब से ही मांग उठती रही है कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाए। इसके जवाब में पीएम मोदी और होम मिनिस्टर अमित शाह लगातार कहते रहे हैं कि सही समय पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलेगा। सरकार ने कभी राज्य का दर्जा देने से इनकार नहीं किया है, बस सही समय की बात कही है। ऐसे में सवाल है कि क्या वह सही समय अब आ गया है। कुछ बड़ा होने के कयास लग ही रहे हैं और सबसे ज्यादा चर्चा जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की ही है। फारूक अब्दुल्ला के बयान से भी ऐसे कयास तेज हैं। उन्होंने सोमवार को कहा कि सरकार बताए कि आखिर जम्मू-कश्मीर को कब पूर्ण राज्य का दर्जा मिलेगा।
अब हम आपको बताते हैं कि जम्मू-कश्मीर को कैसे मिलेगा राज्य का दर्जा और इसकर क्या है प्रक्रिया। किसी केंद्र शासित प्रदेश को राज्य या फिर स्टेट को यूटी बनाने के लिए संसद में प्रस्ताव लाना होता है। उस प्रस्ताव के दोनों सदनों से पारित होने और फिर राष्ट्रपति के साइन से फैसला होता है। माना जा रहा है कि ऐसे किसी प्रस्ताव के बारे में संभवतः जानकारी देने के लिए ही पीएम मोदी और अमित शाह ने राष्ट्रपति से मुलाकात की है। 2019 में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून पारित कराकर केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था। अब उसी बिल में संशोधन करना होगा। इसके लिए नया संशोधन विधेयक संसद में पेश किया जाएगा और फिर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा। हालांकि सुरक्षा के जानकारों का कहना है कि अभी जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा सरकार बहाल करने वाली नहीं है। अभी जम्मू-कश्मीर के सुरक्षा की कमान एलजी के हाथों पर ही रहेगी।
इनसब के बीच जम्मू और कश्मीर को अलग-अलग करने की अफवाह भी सोशल मीडिया पर गर्दा उड़ा रही हैं। जम्मू के लोग यह शिकायत करते रहे हैं कि कश्मीरी नेतृत्व ने उनके क्षेत्र के विकास को नजरअंदाज किया और उन्हें सत्ता में उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया। इस संदर्भ में, जम्मू को अलग राज्य बनाने की मांग को कुछ लोग क्षेत्रीय सशक्तिकरण के रूप में देखते हैं। जो लोग जम्मू को अलग राज्य का दर्जा देने के पक्ष में हैं, उनका तर्क है कि इससे क्षेत्र की विशिष्ट आवश्यकताओं और पहचान को बेहतर संबोधित किया जा सकेगा। कश्मीरी मूल की पत्रकार आरती टिक्कू एक्स पर लिखती हैं कि जम्मू और कश्मीर में इन दिनों यह अफ़वाह ज़ोरों पर है कि केंद्र सरकार अनुच्छेद 370 के हटाए जाने की छठी वर्षगांठ पर इस केंद्र शासित प्रदेश को फिर से राज्य का दर्जा दे सकती है। और जो बात इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाली है कि वह यह कि अफ़वाहों के बाज़ार में कहा जा रहा है कि कश्मीर और जम्मू को अलग करके दो स्वतंत्र राज्य बना दिया जाएगा। अगर इनमें से कोई भी बात सही निकली, तो यह बेहद विनाशकारी कदम होगा।