मालेगांव ब्लास्ट से शुरू हुई नैरेटिव गढ़ने की कोशिश
तारीख थी 29 सितम्बर 2008 की जब मालेगांव में शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट कंपनी के ठीक सामने एक धमाका हुआ, स्कूटर में हुए इस ब्लास्ट में 6 लोग मारे गए जबकि 100 से ज्यादा घायल हुए। मामले में एनआइए ने कर्नल पुरोहित, प्रज्ञा ठाकुर समेत कई लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई और फिर लम्बी पूछताछ की गई।
भगला आतंकवाद की थ्योरी गढ़ने की शुरुआत
मालेगांव ब्लास्ट में हिंदू संगठनों से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी के बाद नैरेटिव गढ़ने की नई शुरुआत की गई। उस समय के गृहमंत्री पी चिदम्बरम ने तो सरेआम ये बात कही थी। लेकिन मालेगांव ब्लास्ट के एक महीने बाद ही वो हुआ जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। तारीख थी 26 नवम्बर 2008 जब अरब सागर के रास्ते घुसे आतंकी मुंबई शहर पर कहर बनकर टूटे। इस हमले में 166 लोगों की जान गई जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए। इस हमले में शामिल अजमल कसाब के अलावा सभी आतंकी ढेर हो गये लेकिन सिपाही तुकाराम की बहादुरी से कसाब जिंदा पकड़ा गया। कसाब का जिंदा पकड़ा जाना ही भगवा आतंकवाद की हवा निकालने के लिए काफ़ी था।
पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर की किताब में सनसनीखेज खुलासा
जिस वक्त मुंबई हमला हुआ उस वक्त मुंबई के पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया थे। जिन्होंने आतंकी हमले की जांच भी की थी। उनकी किताब ‘लेट मी से इट नाउ’ में काफ़ी सनसनीखेज बातें कही गई है। किताब के मुताबिक लश्कर ए तैयबा ने कसाब समेत सभी आतंकियों के हाथ में कलावा बांध कर भेजा था। कसाब के पास तो बेंगलुरु के निवासी समीर चौधरी का पहचान पत्र भी था। लश्कर की साज़िश के मुताबिक इस हमले को हिंदू आतंकवाद की शक्ल देने की योजना थी।
कसाब के जिंदा पकड़े जाने से बिगड़ा खेल
राकेश मारिया ने अपनी किताब में कुछ और भी खुलासे किए हैं लेकिन सबसे बड़ा दावा आतंकियों की पहचान बदलने को लेकर है। सवाल उठता है कि क्या भारत में चल रहे भगवा आतंकवाद के नैरेटिव का फायदा उठाने के लिए लश्कर ने ऐसा किया था। इसका जवाब हां और नहीं में दिया जा सकता है लेकिन हां का विकल्प इसलिए ज्यादा मजबूत है क्योंकि इसके बाद दिग्विजय सिंह ने मुस्लिम पत्रकार अजीज बर्नी की एक किताब का विमोचन भी किया था जिसका नाम था ’26/11 आर एस एस की साज़िश’! इस विमोचन के बाद काफी सियासी हंगामा भी हुआ लेकिन दिग्गी राजा को इससे फर्क नहीं पड़ा।
यह भी पढ़ें : झांसी में बाबा बाग्श्वर धीरेंद्र शास्त्री पर हुआ हमला, हिंदू एकता यात्रा के दौरान चेहरे पर आई चोट
अब कांग्रेस का क्या है स्टैंड? क्या माफ़ी मांगेगी कांग्रेस?
भगवा आतंकवाद या हिन्दू आतंकवाद के नैरेटिव को कांग्रेस ने सियासी फायदे के लिए इस्तेमाल किया इसमें कोई संदेह नहीं है लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस का ये रवैया 2014 के चुनावों में भारी पड़ गया। संघ और बीजेपी का विरोध करते करते कांग्रेस ने जाने अनजाने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए जिसे उस वक्त के बीजेपी के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने जमकर भुनाया और यही वजह है कि कांग्रेस के तमाम दांव बीजेपी के हिंदुत्व के आगे फेल नजर आ रहे हैं।