NASA का सैटेलाइट चांद पर कैसे खोजेगा पानी, क्या इससे चंद्रमा पर मानव बस्तियां बसाने का सपना होगा साकार

NASA ने चांद पर पानी खोजने के लिए नया सैटेलाइट लॉन्च किया है। यह सैटेलाइट चंद्रमा की सतह का अध्ययन कर पानी की मौजूदगी का पता लगाएगा, जो भविष्य के लूनर मिशनों के लिए बेहद जरूरी साबित हो सकता है।

NASA satellite to find water on the moon

NASA satellite to find water on the moon अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी का पता लगाने के लिए एक नया सैटेलाइट लॉन्च किया है। यह सैटेलाइट आकार में एक डिशवॉशर जितना है और इसे बुधवार, 26 फरवरी को फ्लोरिडा से अंतरिक्ष में भेजा गया। इस मिशन का मकसद चांद पर पानी की सही स्थिति का पता लगाना है, जो भविष्य में लूनर मिशनों के लिए बेहद जरूरी साबित हो सकता है। खासतौर पर चंद्रमा के ध्रुवों पर स्थित स्थायी रूप से छायादार गड्ढों में पानी की मौजूदगी का अनुमान लगाना है।

SpaceX के रॉकेट से लॉन्च हुआ मिशन

NASA के इस सैटेलाइट को SpaceX के Falcon 9 रॉकेट से लॉन्च किया गया, जो केप कैनावेरल स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरा। इस सैटेलाइट को लॉकहीड मार्टिन कंपनी के अंतरिक्ष विभाग ने तैयार किया है। खास बात यह है कि इस रॉकेट में एक और पेलोड भी था, जिसमें इंट्यूटिव मशीन्स के नेतृत्व में एक लूनर लैंडर मिशन भी शामिल था।

चांद पर पानी की मौजूदगी का अनुमान

पहले माना जाता था कि चंद्रमा पूरी तरह सूखा है, लेकिन हाल के शोधों में कुछ जगहों पर पानी की मौजूदगी के संकेत मिले हैं। यहां तक कि वे जगहें, जहां सूरज की रोशनी पड़ती है, वहां भी पानी के अंश मिले हैं।

खासकर चंद्रमा के ध्रुवीय इलाकों में, जहां ठंड और अंधेरा बना रहता है, वहां लंबे समय से बर्फ के रूप में पानी होने की संभावना जताई जा रही थी। इस सैटेलाइट का मकसद इन अनुमानों की पुष्टि करना और चंद्रमा पर पानी के डिस्ट्रिब्यूशन का नक्शा तैयार करना है।

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कैसा है यह सैटेलाइट

लूनर ट्रेलब्लेज़र नामक यह सैटेलाइट करीब 200 किलोग्राम (440 पाउंड) वजन का है। जब इसके सोलर पैनल पूरी तरह खुलते हैं, तो इसकी चौड़ाई करीब 11.5 फीट (3.5 मीटर) हो जाती है। इसे खासतौर पर चंद्रमा की सतह पर पानी खोजने और उसका विस्तृत नक्शा बनाने के लिए डिजाइन किया गया है।

भविष्य के मिशनों के लिए क्यों जरूरी है चंद्रमा पर पानी

आने वाले वर्षों में चंद्रमा की सतह पर पानी बेहद कीमती संसाधन बन सकता है। यह न सिर्फ पीने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, बल्कि इसे ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में बदलकर रॉकेट ईंधन के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है।

अगर चंद्रमा पर पर्याप्त मात्रा में पानी मिलता है, तो भविष्य में वहां अंतरिक्ष यात्रियों के लिए ठहरने की सुविधाएं विकसित करना आसान हो जाएगा। साथ ही, यह मंगल और अन्य ग्रहों के मिशनों के लिए भी मददगार साबित होगा।

NASA का यह मिशन चंद्रमा पर पानी की खोज में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। यह सैटेलाइट चंद्रमा की सतह का विस्तृत अध्ययन करेगा और वहां पानी के स्रोतों की सटीक जानकारी देगा। अगर यह मिशन सफल होता है, तो आने वाले समय में चंद्रमा पर मानव बस्तियां बसाने का सपना भी साकार हो सकता है।

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