नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। पीएम नरेंद्र मोदी के बारे में कहा जाता है कि वह नामुमकिन को मुमकिन करने का जज्बा रखते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी के लिए भारत से बढ़ी कोई अनमोल रत्न नहीं। वह मां भारतीय के लिए जीते हैं। भारत के लिए 24 घंटे 365 दिन इमानदारी से काम करते हैं। भारत और 140 करोड़ भारतीयों के लिए वह किसी से भी भिड़ने को तैयार रहते हैं। वह दोस्ती तो दमदार तरीके से निभाते हैं। लेकिन अगर दोस्ती देश पर भारी पड़े तो खुद आगे आकर उस पर विराम लगा देते हैं। शायद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पीएम नरेंद्र मोदी को ठीक से समझ नहीं पाए। ट्रंप को लगता था कि जो वह कहेंगे, पीएम नरेंद्र मोदी वही करेंगे। भारत भी अमेरिका के इशारे पर चलेगा। लेकिन ये पीएम नरेंद्र मोदी हैं। उनकी 56 इंच की छाती को ये कभी कबूल नहीं। यही वजह रही है कि आजाद भारत में पहली बार अमेरिका को उसी की भाषा में हिन्दुस्तान से जवाब मिला।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत के खिलाफ लगातार बयान दे रहे हैं। ट्रंप की बकैती का आगाज ऑपरेशन सिंदूर के बाद जारी हुआ, जो अब 50 फीसदी टैरिफ के बाद भी जारी है। भारत की तरफ से भी आजादी के बाद पहली बार अमेरिका को उसी की भाषा में जवाब दिया गया। विदेश मंत्रालय ने अमेरिका की करतूत को खोली तो इंडियन आर्मी की तरफ से भी बड़ा खुलासा किया गया। इंडियन आर्मी ने दावा किया कि 1971 के युद्ध के दौरान अमेरिका ने पाकिस्तान को करीब 2 अरब के हथियार दिए थे। साथ ही विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि अमेरिका तो हमें रूस से तेल नहीं खरीदने को कहता है। जबकि खुद अमेरिका अरबों डॉलर का कारोबार रूस से करता है। डोनाल्ड ट्रंप को भारत की ये बात पसंद नहीं आई और देरशाम उन्होंने टैरिफ को 25 से बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया। जिसका जवाब भारत सरकार की तरफ से अमेरिका को दे दिया गया। इतना ही नहीं ट्रंप की धमकी के बीच अजित डोभाल रूस के लिए रवाना हो गए।
दरअसल, भारत के हितों के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कूटनीतिक की सारी सीमाओं को पार करने की तरफ बढ़ गये हैं। कारोबारी समझौते को लेकर भारत सरकार के अडिग रवैये को देखते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने अब धमकी पर उतर आए हैं। जिसका जवाब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने अपने तरीके से दिया। उन्होंने कहा है कि यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से ही अमेरिका व यूरोपीय देश भारत पर निशाना साध रहे हैं। असलियत में भारत ने रूस से तेल खरीदने की शुरुआत तभी की जब यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया के पारंपरिक तेल बाजारों से कच्चे तेल यूरोप भेजे जाने लगे। भारत, रूस से इसलिए तेल खरीदता है ताकि वह अपनी जनता को किफायदी दरों पर ईंधन उपलब्ध करा सके। लेकिन यह तथ्य है कि जो देश भारत पर आरोप लगा रहे हैं, वह खुद ही रूस से कारोबार कर रहे हैं। जबकि, ऐसा करना उनके लिए राष्ट्रीय हित की बात नहीं है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने आगे कहा कि यूरोपीय संघ का वर्ष 2024 में रूस के साथ 67.5 अरब यूरो का द्विपक्षीय कारोबार था। यह भारत के रूस से कुल कारोबार से ज्यादा रहा है। यूरोप और रूस में अभी भी उर्वरक, खनन उत्पादों, रसायन, लोहा व इस्पात आदि का कारोबार हो रहा है। जहां तक अमेरिका की बात है तो वह अभी भी रूस से यूरेनियम की खरीद कर रहा है। अपनी इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिए रूस से पैलेडियम खरीद रहा है। ऐसी पृष्टभूमि में भारत को निशाना बनाना अन्यायपूर्ण व अनुचित है। अन्य देशों की तरह भारत भी अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा के हिसाब से कदम उठाएगा। इनसब के बीच एक और बड़ी खबर सामने आई है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी 31 अगस्त को चीन का दौरा कर सकते हैं। वह चीन में ब्रिक्स की बैठक में शामिल हो सकते हैं। हालांकि अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई।
पीएम नरेंद्र मोदी के दौरे से ठीक पहले एनएसए अजीत डोवल रूस की यात्रा पर हैं। वह रूस के राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे। जानकार बताते हैं कि डोवल रूस से एस-400 को लेकर बात कर सकता है। पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान को लेकर थी चर्चा हो सकती है। इसके अलावा ट्रंप के टैरिफ पर थी मंथन हो सकता है। डोवल के बाद विदेश मंत्री जयशंकर भी रूस जाएंगे। जानकार बताते हैं कि भारत के इस कदम से दुनिया की विदेश निति 160 डिग्री घूम चुकी है। नए समीकरण बन रहे हैं। पुराने समीकरण टूट रहे हैं। आने वाले वक्त में भारत, चीन और रूस एक साथ और एक मंच पर दिख सकते हैं। यही वजह है कि डोनाल्ड ट्रंप को मिर्ची लगी हुई है। जानकार बताते हैं कि भारत के ऑपरेशन सिंदूर को देख अमेरिका में बैठे डीप स्टेट के पैरों की जमीन खिसक गई है। अमेरिका का डीप स्टेट अब भारत के खिलाफ साजिश रच रहा है। डीप स्टेट के कहने पर ट्रंप भारत को टारगेट कर रहे हैं।
दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप भह ऑपरेशन सिंदूर के बाद खासे चिड़े हुए हैं। उन्होंने कईबार कहा कि मैंने भारत-पाक का युद्ध रूकवाया। लेकिन भारत ने ट्रंप के दावे को खारिज कर दिया। यहीं से ट्रंप की बकैती शुरू हो गई। उन्होंने रूस का मुद्दा उठाते हुए भारत को घेरा। ट्रंप ने अपने चिरपरिचित अंदाज में लिखा है कि भारत ना सिर्फ रूस से बड़ी मात्रा में तेल की खरीद कर रहा है, बल्कि इस खरीदे गये तेल के अधिकांश हिस्से को खुले बाजार में बेच कर भारी मुनाफा कमा रहा है। उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं है कि यूक्रेन में कितने लोग रूसी हथियारों से मारे जा रहे हैं। इस वजह से मैं भारत पर शुल्क में भारी वृद्धि करने जा रहा हूं। पिछले हफ्ते की शुरुआत में जब ट्रंप ने भारत पर रूस से तेल खरीदने का आरोप लगाया था, तब विदेश मंत्रालय ने इस पर बहुत ही सधी प्रतिक्रिया दी थी। जिस दिन अमेरिकी प्रशासन ने भारतीय आयात पर 25 फीसद का शुल्क लगाया था, उस दिन ट्रंप ने भारत के खिलाफ खास तौर पर एक पोस्ट किया था। उसमें उन्होंने लिखा था कि भारत और रूस अपनी मृत अर्थव्यवस्था के साथ डूब जाएं, मुझे इस बात की कोई चिंता नहीं है।