वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर समिति का कार्यकाल बढ़ा मिला अतिरिक्त समय कब तक पेश करनी होगी रिपोर्ट

लोकसभा ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर बनी संसदीय समिति के कार्यकाल को 2025 के अंत तक बढ़ा दिया है। इससे समिति को अपनी रिपोर्ट को तैयार करने और आवश्यक सुधारों पर विचार करने का पर्याप्त समय मिलेगा।

लोकसभा ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (एक राष्ट्र, एक चुनाव) पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के कार्यकाल को बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। यह विस्तार 2025 के आखिरी सप्ताह के पहले दिन तक रहेगा, जिससे समिति को अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए अतिरिक्त समय मिलेगा।

कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव

जेपीसी के अध्यक्ष और भाजपा सांसद पीपी चौधरी ने लोकसभा में समिति के कार्यकाल को बढ़ाने का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने मंजूरी दे दी। इस फैसले से समिति को ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ और ‘केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024’ पर अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने में मदद मिलेगी।

समिति की अगली बैठकें कब होंगी?

समिति की अगली बैठक 2 अप्रैल को होगी, जहां दो प्रमुख हस्तियों के साथ चर्चा की जाएगी। इससे पहले, समिति के सदस्य दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और वर्तमान में टेलीकॉम डिस्प्यूट सेटलमेंट एंड अपीलेट ट्राइब्यूनल (टीडीएसएटी) के अध्यक्ष जस्टिस डीएन पटेल से मुलाकात करेंगे। इसके बाद, भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि के साथ विचार-विमर्श किया जाएगा।

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ क्यों जरूरी?

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ योजना का मकसद लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराना है, जिससे चुनावी प्रक्रियाओं में लगने वाले समय और खर्च को कम किया जा सके। केंद्र सरकार चाहती है कि 2029 तक पूरे देश में एक साथ चुनाव कराए जाएं। इस दिशा में कुछ अहम विधेयकों को कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन संसद के दोनों सदनों से इनका पास होना अभी बाकी है।

समिति की अगुवाई कौन कर रहा है?

जेपीसी के अध्यक्ष पीपी चौधरी हैं, जो पहले कानून और न्याय मंत्रालय में राज्य मंत्री रह चुके हैं। वे कई संसदीय समितियों का नेतृत्व कर चुके हैं। दिसंबर 2024 में बनी इस समिति में लोकसभा के 27 और राज्यसभा के 12 सांसदों को मिलाकर कुल 39 सदस्य शामिल हैं।

जेपीसी के कार्यकाल में विस्तार से समिति को ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर गहराई से अध्ययन करने और विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा करने का अधिक समय मिलेगा। इससे समिति अपनी रिपोर्ट को और बेहतर तरीके से तैयार कर पाएगी, जिससे देश में चुनावी सुधारों की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकेंगे।

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