झुंझुनू। देश में अगले महीने से यूरिया, डीएपी, एनपीके, पोटाश इत्यादि सभी तरह के रासायनिक उर्वरक एक जैसी पैकिंग में उपलब्ध होंगे। यूरिया अब पीले बैग में ही मिलेगी, डीएपी हल्के हरे, एनपीके गहरे हरे और एमओपी हल्के गुलाबी बैग में ही मिलेगी।
31 दिसंबर से पहले खत्म करना होगा पुराना स्टॉक
एक देश-एक उर्वरक थीम को लेकर केंद्र सरकार ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी किया है। इसके अनुसार बैग के 75 फीसदी हिस्से पर प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना (पीएमबीजेपी) का लोगो व डिजाइन प्रिंट कराना होगा। सिर्फ 25 फीसदी हिस्से पर कंपनी अपना नाम व ब्रांड प्रिंट करा सकेगी। प्रत्येक उर्वरक के बैग के लिए कलर भी तय किया गया है। नई पैकिंग में उर्वरक की उपलब्धता गांधी जयंती से अनिवार्य रूप से शुरू करनी होगी। इस दौरान पुरानी पैकिंग में जो भी उर्वरक होगा, उसका स्टॉक 31 दिसंबर से पहले खत्म करना होगा। यानी नए साल में पुरानी पैकिंग में कहीं पर कोई उर्वरक बेचता पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
अब नहीं बेच सकेंगे मनमर्जी की पैकिंग में उर्वरक
केंद्रीय उर्वरक मंत्रालय ने इस संबंध में 24 अगस्त को परिपत्र जारी किया है। परिपत्र में कहा गया है कि एक देश-एक उर्वरक थीम के तहत अब मनमर्जी की पैकिंग में उर्वरक नहीं बेच सकेंगे। खेती में बुआई व सिंचाई के काम आने वाले चारों उर्वरकों के बैग का कलर भी तय किया गया है। बाकायदा इनके डिजाइन जारी किए गए हैं। इसके तहत सर्वाधिक काम में ली जाने वाली यूरिया के बैग का कलर पीला होगा। डीएपी के बैग का कलर हल्का हरा होगा, जबकि एनपीके (नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश) का गहरा हरा और एमओपी (पोटाश) के बैग का कलर हल्का गुलाबी होगा।
देश में एक ही कीमत पर बिकेगा उर्वरक
प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना (पीएमबीजेपी) के तहत इस स्कीम का उद्देश्य देश में नकली उर्वरक की बिक्री पर रोक लगाने और पूरे देश में उर्वरक एक ही कीमत पर बेचना है। यूरिया की किल्लत के दौरान किसानों से अधिक वसूली की जाती है। कई ब्रांड के नाम पर नकली यूरिया बिकती है। मिलते-जुलते नाम व डिजायन के कारण किसान पहचान ही नहीं पाता कि कौन सी असली है और कौन सी नकली है। केंद्र सरकार की जॉइंट सेक्रेटरी ए. नीरिजा ने इस संबंध में खाद निर्माता कंपनियों को सर्कुलर भेजकर इसका अनुपालन कराने को कहा है।