बीड़ी पीने पर मौत की सजा! ट्रेन में पुलिस पिटाई से मजदूर की मौत, सोशल मीडिया पर उबाल

बीड़ी पीने पर पुलिस की पिटाई से एक मजदूर की मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया है। ट्रेन में हुई इस घटना ने कानून व्यवस्था, पुलिस बर्बरता और गरीबों के साथ भेदभाव पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

Tikamgarh

Tikamgarh train accident: एक गरीब मजदूर को ट्रेन में बीड़ी पीना इतना महंगा पड़ा कि उसकी जान ही चली गई। मध्य प्रदेश के Tikamgarh जा रहे रामदयाल अहिरवार की पुलिसकर्मियों की पिटाई से कथित तौर पर मौत हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, रामदयाल ने जनरल कोच के दरवाजे के पास बीड़ी सुलगाई थी, जिसे देखकर ट्रेन में मौजूद पुलिसकर्मी भड़क उठे और उसे बेरहमी से पीट डाला। सोशल मीडिया पर घटना की एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें रामदयाल अचेत अवस्था में फर्श पर पड़े दिखते हैं। यह घटना अब कानून व्यवस्था, पुलिस बर्बरता और गरीबों के साथ भेदभाव पर कई सवाल खड़े कर रही है।

मामूली गलती, भयावह अंजाम

रामदयाल अहिरवार मजदूरी की तलाश में Tikamgarh जा रहे थे। जनरल कोच में सफर कर रहे रामदयाल ने ट्रेन के दरवाजे के पास बीड़ी जलाई, तभी वहां मौजूद पुलिसकर्मियों की नजर उस पर पड़ी। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि रामदयाल ने कोई प्रतिरोध नहीं किया, लेकिन पुलिस ने उस पर इतना प्रहार किया कि वह वहीं गिर पड़ा। इलाज तक नहीं मिल सका और कुछ देर में उसकी मौत हो गई। यात्रियों के अनुसार, पुलिसकर्मी उसे किसी स्टेशन पर उतारने की बजाय बेहोशी की हालत में छोड़कर चले गए।

सोशल मीडिया पर फूटा गुस्सा

Tikamgarh घटना के बाद सोशल मीडिया पर लोग जमकर अपना आक्रोश जाहिर कर रहे हैं। @khurpench_ नामक यूजर ने तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, “कानून के रक्षक ही भक्षक बन जाएं तो आम आदमी कहां जाए?” @Satpal850 ने लिखा, “गरीब की बीड़ी भी जुर्म बन गई और उस पर मौत की सजा दे दी गई।” कई यूजर्स ने सरकार और प्रशासन से दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

क्या कहता है कानून?

भारतीय रेलवे अधिनियम के तहत ट्रेन में धूम्रपान करना अपराध है, और इसके लिए अधिकतम 200 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या जुर्माने की जगह किसी को पीट-पीटकर मार देना न्याय है? यह घटना इस बात का प्रतीक बन गई है कि कैसे कानून के नाम पर गरीबों को डराया और दबाया जाता है।

लोगों ने मांग की है कि दोषी पुलिसकर्मियों को निलंबित कर उनके खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाया जाए। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और रामदयाल के परिवार को न्याय दिलाने के लिए क्या कदम उठाता है।

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