पहलगाम आतंकी हमले के बाद हवाई किराए में वृद्धि पर विवाद, लोगों में गुस्सा

ChatGPT said: पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद, श्रीनगर-मुंबई मार्ग पर एयरलाइन्स द्वारा किराए में भारी वृद्धि पर विवाद खड़ा हो गया है। यात्रियों ने इसे "अनैतिक मूल्य वृद्धि" करार दिया, जिससे एयरलाइन्स को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।

Pahalgam

Pahalgam attack airlines price hike: 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई, श्रीनगर-मुंबई मार्ग पर एयरलाइनों द्वारा किराए में भारी वृद्धि ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। कई यात्रियों ने आरोप लगाया है कि एयरलाइन्स ने इस संकट के दौरान “अनैतिक मूल्य वृद्धि” की है, क्योंकि हमले के बाद यात्रा करने के लिए बेताब लोग भारी किराया चुकाने को मजबूर हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर यह मुद्दा तेज़ी से उठने लगा है, खासकर जब एक स्क्रीनशॉट में दिखाया गया कि स्पाइसजेट ने टिकटों की कीमतों में चार गुना वृद्धि की थी।

किराए में अप्रत्याशित वृद्धि

श्रीनगर से मुंबई की फ्लाइट्स पर किराए में अचानक वृद्धि ने यात्रियों को चौंका दिया है। 23 अप्रैल को ₹9,739 का किराया, 24 अप्रैल के लिए ₹24,028 से ₹34,889 तक पहुंच गया। इस वृद्धि ने सोशल मीडिया पर तीव्र आलोचना का सामना किया है, जहां एक यूजर ने इसे “बेशर्मी” करार दिया है। किराए में इस असामान्य वृद्धि को लेकर एयरलाइन्स पर आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने Pahalgam आतंकी हमले के बाद संघर्ष में फंसे यात्रियों का फायदा उठाया। विशेष रूप से स्पाइसजेट की कीमतों में बढ़ोतरी ने इस मुद्दे को और अधिक भड़काया है, जहां पहले ₹1,339 के “लॉक प्राइस” विकल्प की जगह अब ऊंचे किराए हैं।

सरकार और नागरिक उड्डयन मंत्रालय की प्रतिक्रिया

संचालन बढ़ने के बाद, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एयरलाइन्स से आग्रह किया है कि वे सर्ज प्राइसिंग से बचें और यात्रियों के लिए अतिरिक्त उड़ानें और लचीली बुकिंग नीतियाँ उपलब्ध कराएं। हालांकि, इन प्रयासों के बावजूद, हवाई किराए में उतार-चढ़ाव की स्थिति की आलोचना की जा रही है। कुछ आलोचक मानते हैं कि यह एक प्रणालीगत समस्या है, जिसमें एयरलाइन्स संकटों का फायदा उठाती हैं और असमान मूल्य निर्धारण के जरिए भारी लाभ कमाती हैं। एक स्क्रीनशॉट में स्पष्ट रूप से देखा गया कि हमले के अगले दिन किराए की वृद्धि हुई, लेकिन बाद में ये फिर से सामान्य हो गए, जिससे पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े हुए हैं।

अतीत में भी ऐसी घटनाएँ हुई हैं

यह पहली बार नहीं है जब Pahalgam एयरलाइन्स की मूल्य वृद्धि पर विवाद हुआ है। 2016 के जाट आंदोलन के दौरान भी किराए में वृद्धि पर आलोचना हुई थी। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने ऐसे मामलों में कार्रवाई करने की आवश्यकता जताई थी, लेकिन एयरलाइन्स को इसके बावजूद बिना किसी रोक-टोक के बढ़ी हुई कीमतों को लागू करने की अनुमति मिलती है। जबकि विदेशों में कुछ एयरलाइन्स जैसे जेटब्लू ने संकट के समय किराए को सीमित किया, भारतीय एयरलाइन्स का रवैया इससे अलग दिखाई दे रहा है।

प्रधानमंत्री का बयान और आवश्यक कदम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 अप्रैल को पहलगाम की स्थिति पर चर्चा करने के लिए अधिकारियों के साथ बैठक की। हालांकि, सोशल मीडिया पर गुस्साए यूज़र्स ने प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण पर सवाल उठाए, विशेष रूप से उस बयान को लेकर जिसमें कहा गया था कि “हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई यात्रा कर सकेगा।” अब सरकार को चाहिए कि वह जल्द से जल्द हवाई किराए पर सीमा लागू करे और यह सुनिश्चित करे कि एयरलाइन्स किसी भी मानवता संकट का लाभ मुनाफ़े के रूप में न उठाएं।

इस समय, जब लोग सुरक्षित बाहर निकलने के लिए प्रयासरत हैं, किराए में वृद्धि से जनता का विश्वास संकट में है।

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