नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। बिहार के पटना स्थित पारस हॉस्पिटल में बीतेदिनों बक्सर के कुख्यात डॉन चंदन मिश्रा को गोलियों से भून दिया गया था। शूटर्स ने वारदात को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया था। हॉस्पिटल में 6 किलर दाखिल हुए और मुख्य सरगना तौसीफ बादशाह ने सबसे पहली गोली चलाई। बताया जाता है बादशाह बिहार का सबसे बड़ा सुपारी किलर है। पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए 6 आरोपियों को अरेस्ट कर जेल भेजा है। सुपारी देने वाला शेरू फिलहाल जेल में है। बताया जा रहा है कि चंदन मिश्रा और शेरू बचपन के दोस्त थे। दोस्ती ऐसे थी कि दोनों अपने विरोधियों को उल्टा बाइक पर बैठकर गोली मारकर मौत के घाट उतारा करते थे। चंदन-शेरू के नाम से पूरा इलाका थर-थर कांपता था। जेल के अंदर दोनों के बीच दुश्मनी हुई और आखिर में चंदन की मौत के बाद दोस्ती की कहानी का द एंड हो गया।
17 जुलाई को शास्त्री नगर थाना अंतर्गत पारस हॉस्पिटल में इलाजरत चंदन कुमार मिश्रा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्याकांड के जांच क्रम में सीसीटीवी फुटेज के अवलोकन के आधार पर घटना में संलिप्त अभियुक्तों की पहचान करते हुए तकनीकी विश्लेषण एवं सूचना संकलन के आधार पर कोलकाता पुलिस एवं कोलकाता एसटीएफ के सहयोग से चार अभियुक्तों को कोलकाता से गिरफ्तार किया गया। पकड़े गए शूटर्स में बादशाह भी है। जबकि अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी चल रही है। इसी कड़ी में मंगलवार को भोजपुर में गैंगस्टर चंदन मिश्रा हत्याकांड में बिहिया इलाके में स्पेशल टास्क फोर्स और अपराधियों में मुठभेड़ हुई है। इस मुठभेड़ में दो अपराधियों को गोली लगी। जिन्हें घायल अवस्था में पुलिस ने दबोच लिया।
चंदन मिश्रा बिहार के बक्सर के सोनवर्षा गांव का रहने वाला था। मां-बाप का इकलौता बेटा। एक दिन गांव में हुए झगड़े के बाद उसने अपने पिता की लाइसेंसी रिवॉल्वर से गोली चला दी। यही उसका पहला कत्ल था। वह नाबालिग था, इसलिए उसे रिमांड होम भेजा गया, जहां तीन साल रहा. बाहर आया, तो शेरू सिंह से मुलाकात हुई। दोनों ने मिलकर अपना गैंग खड़ा किया। ये गैंग बाइक पर उल्टा बैठकर सीधे सिर में गोली मारता था। साल 2011 में चंदन-शेरू गैंग ने आठ हत्याएं की थीं। जब व्यापारी राजेंद्र केसरी ने रंगदारी देने से मना किया, तो 21 अगस्त 2011 को उसे भी गोली मार दी। इसके बाद दोनों नेपाल भाग गए। फिर बिहार पुलिस ने कोलकाता से दोनों को गिरफ्तार कर लिया। केसरी हत्याकांड में चंदन को उम्रकैद और शेरू को फांसी की सजा हुई। हालांकि, बाद में हाईकोर्ट ने शेरू की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था।
जानकार बताते हैं कि चंदन और शेरू सिंह के रिश्ते जेल में बिगड़ने लगे थे। वजह पैसा, शक और जलन था। दोनों को लगता था कि दूसरा पैसे में धोखा दे रहा हैं फिर शक होने लगा कि एक-दूसरे की पुलिस से मुखबिरी कर रहे हैं। चंदन को शेरू की उसके परिवार की एक लड़की से नजदीकी पर ऐतराज था। इसके बाद सोशल मीडिया का एंगल आया। चंदन बेऊर जेल से रील बनाता था, शेरू को यह आजादी नहीं थी। शेरू को लगता था कि जेल प्रशासन भी चंदन के इशारों पर काम करता है। ऊपर से शेरू गैंग के लड़के एक-एक कर एनकाउंटर में मारे जा रहे थे, जबकि चंदन गैंग बच रहा था। शेरू को शक था कि चंदन मुखबिरी कर रहा है। यही शक, दुश्मनी में बदल गया। 3 जुलाई को चंदन को पाइल्स के इलाज के लिए 15 दिन की पेरोल मिली। शेरू को यह पता चला, और उसी दिन उसने चंदन को खत्म करने की साजिश रच दी। उसने सोनू शूटर के जरिए पटना के कुख्यात कॉन्ट्रैक्ट किलर तौसीफ बादशाह से संपर्क किया।
तौसीफ खुद को सोशल मीडिया पर रॉबिनहुड कहता है। उसका बायो है, ’नाम से शहर डोलता है, ये हम नहीं, अखबार बोलता है। यही तौसीफ अब इस शूटआउट का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, 15 जुलाई को चंदन जब हॉस्पिटल में भर्ती हुआ, तभी प्लान फाइनल हो गया। तौसीफ को अस्पताल की पूरी जानकारी थी। शक है कि तौसीफ के इशारे पर रूम नंबर 209 का लॉक खराब किया गया। अब पुलिस इस कड़ी को जोड़ रही है कि क्या तौसीफ ने सिर्फ सुपारी ली थी, या फिर चंदन से उसकी कोई पुरानी दुश्मनी भी थी। एसटीएफ ने शेरू से जेल में लंबी पूछताछ की है। सभी छह शूटरों की पहचान हो चुकी है। इनमें सोनू, आकिब मलिक, मुस्तकीम उर्फ कालू, बलवंत सिंह उर्फ भिंडी और मास्टरमाइंड तौसीफ शामिल हैं। पुलिस ने सभी शूटर्स को अरेस्ट कर लिया है। फिलहाल अभी तीन अन्य आरोपियों की तलाश पुलिस कर रही है।