नई दिल्ली : उज्जैन में साधु-संतों और अखाड़ों के लिए स्थायी आश्रम बनाने की योजना पर काम शुरू किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत हरिद्वार की तर्ज पर सभी अखाड़ों, साधु-संतों, महामंडलेश्वरों और अखाड़ा परिषद के अध्यक्षों को स्थायी रूप से आश्रम स्थापित करने के लिए जमीन दी जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य धार्मिक आयोजनों और प्रवचनों के दौरान साधु-संतों को सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान करना है, ताकि उन्हें किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करन डॉ. मोहन यादव ने सिंहस्थ मेला कार्यालय में सोमवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस नई योजना की घोषणा की।
उन्होंने बताया कि सिंहस्थ 2028 के आयोजन को ध्यान में रखते हुए उज्जैन में स्थायी निर्माण कार्यों को प्राथमिकता दी जाएगी। पहले जहाँ अस्थायी सड़कों और ढांचों का निर्माण होता था, अब उनकी जगह स्थायी संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा ताकि बारिश के बाद भी वे टिके रहें। इस परियोजना को उज्जैन विकास प्राधिकरण द्वारा अमल में लाया जाएगा।
साधु-संतों के लिए सुविधाओं का विस्तार
इस योजना के तहत साधु-संतों को पांच बीघा जमीन आवंटित की जाएगी, जिसमें से सिर्फ एक बीघा पर निर्माण की अनुमति होगी, और शेष भूमि खुली रखी जाएगी। इसके अलावा, उज्जैन में स्कूल, कॉलेज, और अस्पताल जैसी आवश्यक सेवाओं का विस्तार किया जाएगा, लेकिन भूमि आवंटन में साधु-संतों को प्राथमिकता दी जाएगी।
शहर के विकास कार्यों के तहत उज्जैन-देवास-इंदौर-फतेहाबाद के बीच वंदे मातरम सर्कल ट्रेन की स्वीकृति मिल चुकी है, जिससे यातायात सुविधाओं में सुधार आएगा। दताना मताना हवाई अड्डे को भी विकसित किया जाएगा, जिससे उज्जैन में 24 घंटे हवाई सेवा उपलब्ध कराई जाएगी।
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धार्मिक महत्व को बढ़ाने वाली योजना
साधु-संतों और अखाड़ों को भूमि आवंटन की प्रक्रिया स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा की जाएगी, जो महामंडलेश्वर और अखाड़ा परिषद के साथ समन्वय करके आवश्यक जानकारी प्राप्त करेंगे। इस महत्वाकांक्षी धार्मिक योजना का उद्देश्य उज्जैन को एक प्रमुख आध्यात्मिक और धार्मिक केंद्र के रूप में और अधिक समृद्ध बनाना है।