Petrol Price Hike: केंद्र सरकार ने 7 अप्रैल 2025 को पेट्रोल और डीजल पर ₹2 प्रति लीटर उत्पाद शुल्क बढ़ा दिया है, वहीं घरेलू एलपीजी गैस सिलेंडर की कीमत में भी ₹50 की बढ़ोतरी की गई है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने घोषणा करते हुए कहा कि आने वाले दिनों में इन बढ़ी हुई कीमतों की समीक्षा की जाएगी। ये कदम उस समय उठाया गया है जब महंगाई पहले से ही आम आदमी की जेब पर भारी पड़ रही है। ऐसे में एक साथ Petrol, डीजल और गैस के महंगे होने से घरेलू बजट पर बड़ा असर पड़ने की आशंका है। आइए नजर डालते हैं पिछले वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाने की प्रमुख घटनाओं पर।
पांच प्रमुख अवसर जब केंद्र सरकार ने बढ़ाया पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क:
1. अप्रैल 2025 – ₹2 प्रति लीटर की बढ़ोतरी:
सरकार ने 7 अप्रैल 2025 को Petrol और डीजल दोनों पर ₹2 प्रति लीटर का उत्पाद शुल्क बढ़ाया। यह फैसला ऐसे समय में आया जब वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में हल्की गिरावट आई थी, जिससे सरकार को राजस्व जुटाने का अवसर मिला। विपक्ष ने इसे चुनाव से पहले आम जनता पर बोझ डालने वाला कदम बताया।
सरकार ने घरेलू एलपीजी गैस सिलेंडर के दाम में भी ₹50 की बढ़ोतरी की। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने बताया कि यह बढ़ोतरी आवश्यक आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए की गई है और आने वाले दिनों में इसकी समीक्षा की जाएगी। इससे आम लोगों की रसोई का बजट और प्रभावित हो सकता है।
2. मई 2020 – रिकॉर्ड ₹10 और ₹13 की बढ़ोतरी:
कोरोना महामारी के चलते जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम गिर गए थे, तब सरकार ने इस मौके का लाभ उठाते हुए पेट्रोल पर ₹10 और डीजल पर ₹13 प्रति लीटर उत्पाद शुल्क बढ़ाया। यह अब तक की सबसे बड़ी एकमुश्त वृद्धि थी।
3. जनवरी 2016 – ₹0.75 प्रति लीटर की बढ़ोतरी:
सरकार ने Petrol और डीजल पर उत्पाद शुल्क में फिर बढ़ोतरी की। उस समय भी अंतरराष्ट्रीय कच्चा तेल सस्ता था और सरकार ने इसके जरिए राजस्व में बढ़ोतरी की कोशिश की।
4. नवंबर 2015 – ₹1.60 प्रति लीटर की बढ़ोतरी:
इस बढ़ोतरी को सरकार ने आवश्यक बताया था, ताकि फंड जुटाया जा सके। यह बढ़ोतरी कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के चलते की गई थी, ताकि कीमतें नियंत्रण में रहते हुए राजस्व जुटाया जा सके।
5. जनवरी 2015 – ₹2 प्रति लीटर की बढ़ोतरी:
यह वो समय था जब कच्चे तेल की कीमतें लगातार गिर रही थीं और सरकार ने इसका फायदा उठाकर उत्पाद शुल्क में वृद्धि की। इसका उद्देश्य राजकोषीय घाटा कम करना बताया गया था।
जनता की प्रतिक्रिया और आगे की संभावना:
हर बार जब उत्पाद शुल्क बढ़ता है, तो उसका सीधा असर ट्रांसपोर्टेशन, खाद्य सामग्री और रोजमर्रा की वस्तुओं पर पड़ता है। हालांकि सरकार तर्क देती है कि वह राजकोषीय मजबूती के लिए ऐसा करती है, लेकिन जनता हर बार महंगाई की मार झेलती है। आने वाले दिनों में यदि अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतें स्थिर रहती हैं, तो यह उम्मीद की जा सकती है कि खुदरा कीमतें और न बढ़ें। लेकिन यह भी तय है कि चुनावों से पहले यह मुद्दा विपक्ष के लिए एक बड़ा हथियार बन सकता है।