Complain Against Police : अगर आपके या किसी और के साथ कोई आपराधिक घटना घटती है, तो आमतौर पर पहला कदम होता है — पुलिस थाने जाकर FIR दर्ज कराना। लेकिन कई बार ऐसा देखा गया है कि पुलिस शिकायत दर्ज करने से इनकार कर देती है। ऐसे में लोगों को लगता है कि अब कुछ नहीं हो सकता, लेकिन यह धारणा पूरी तरह गलत है।
अगर थाना स्तर पर आपकी FIR दर्ज नहीं हो रही है, तो यह मामला वहीं खत्म नहीं होता। हमारे कानून ने नागरिकों को ऐसे हालात में कई विकल्प और अधिकार दिए हैं, जिनके जरिए आप अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। सबसे पहले, आप संबंधित थाना क्षेत्र के उच्च अधिकारी — जैसे कि DSP (उप पुलिस अधीक्षक) या SP (पुलिस अधीक्षक) के पास लिखित शिकायत दर्ज कर सकते हैं। अगर इसके बावजूद भी आपकी बात नहीं सुनी जाती, तो आप CRPC की धारा 156(3) के तहत न्यायालय (मजिस्ट्रेट) का दरवाज़ा खटखटा सकते हैं। कोर्ट संबंधित थाने को FIR दर्ज करने का आदेश दे सकता है।
अन्य माध्यमों से करें शिकायत
आज के डिजिटल युग में आप राज्य पुलिस की वेबसाइट, पुलिस हेल्पलाइन नंबर, या ई-मेल के जरिए भी शिकायत कर सकते हैं। गंभीर मामलों में आप राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग या राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण तक भी अपनी बात पहुंचा सकते हैं।
जानिए आपके कानूनी अधिकार :
हर नागरिक को यह संवैधानिक अधिकार प्राप्त है कि वह किसी अपराध की शिकायत पुलिस को दे और पुलिस उस पर FIR दर्ज करे।
FIR लिखवाने के लिए आपको अपनी शिकायत मौखिक या लिखित, दोनों रूपों में देने की छूट है।
पुलिस को आपकी शिकायत पर FIR दर्ज करनी ही होगी, और उसकी एक कॉपी मुफ्त में देना भी अनिवार्य है।
अगर पुलिस FIR दर्ज करने से इनकार करती है, तो आप उच्च पुलिस अधिकारियों, राज्य प्राधिकरण, मानवाधिकार आयोग, या कोर्ट में उसकी शिकायत कर सकते हैं।
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सही जानकारी ही आपकी ताकत है
कई बार लोग अपने अधिकारों की जानकारी न होने की वजह से थाने से निराश होकर लौट आते हैं। लेकिन अगर आपको पता हो कि ऐसे हालात में क्या करना है, तो आप न सिर्फ न्याय की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं, बल्कि कानून का सही इस्तेमाल करके अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।