नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। प्यारे देशवासियों इस वर्ष, हमें आतंकवाद का दंश झेलना पड़ा। कश्मीर घूमने गए निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी गई। ये हत्या कायरतापूर्ण और नितांत अमानवीय थी। इसका जवाब भारत ने, फौलादी संकल्प के साथ निर्णायक तरीके से दिया। भारतीय सेनाओं ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए यह दिखा दिया कि जब राष्ट्र की सुरक्षा का प्रश्न सामने आता है तब हमारे सशस्त्र बल किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह सक्षम सिद्ध होते हैं। ये बातें 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहीं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया। 24 मिनट के संबोधन में उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर, कश्मीर रेल प्रोजेक्ट, विकास, लोकतंत्र और अर्थव्यवस्था जैसे विषयों पर बात रखी। उन्होंने कहा इस साल हमें आतंकवाद का दर्द झेलना पड़ा। पहलगाम हमला कायराना और अमानवीय था। इसके जवाब में ऑपरेशन सिंदूर में सेना ने सीमापार आतंकियों के ठिकानों को तबाह किया। यह आत्मनिर्भर भारत मिशन की परीक्षा का भी अवसर था। राष्ट्रपति ने आगे कहा कश्मीर घाटी में रेल सर्विस शुरू होना बड़ी उपलब्धि है। इससे उस क्षेत्र में व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी, हमारे लिए संविधान सर्वोपरि है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन के दौरान खुलकर ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने यह दिखा दिया कि जब राष्ट्र की सुरक्षा का प्रश्न सामने आता है तब हमारे सशस्त्र बल किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह सक्षम सिद्ध होते हैं। रणनीतिक स्पष्टता और तकनीकी दक्षता के साथ, हमारी सेना ने सीमा पार के आतंकवादी ठिकानों को नष्ट कर दिया। मेरा विश्वास है कि ऑपरेशन सिंदूर, आतंकवाद के विरुद्ध मानवता की लड़ाई में एक मिसाल के तौर पर इतिहास में दर्ज होगा। हमारी एकता ही हमारी जवाबी कार्रवाई की सबसे बड़ी विशेषता थी। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के खिलाफ साजिश रचने वालों को हमारी सेनाएं ऐसे ही जवाब आगे भी देंगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि आर्थिक क्षेत्र में हमारी उपलब्धियां साफ-साफ देखी जा सकती हैं। पिछले वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत की सकल-घरेलू-उत्पाद-वृद्धि-दर के साथ भारत, दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में व्याप्त समस्याओं के बावजूद, घरेलू मांग में तेजी से वृद्धि हो रही है। मुद्रास्फीति पर नियंत्रण बना हुआ है। निर्यात बढ़ रहा है। सभी प्रमुख संकेतक अर्थव्यवस्था की मजबूत स्थिति को दर्शा रहे हैं। श्रमिक और किसान भाई-बहनों की कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ-साथ, सुविचारित सुधारों और कुशल आर्थिक प्रबंधन का भी परिणाम है।
राष्ट्रपति ने कहा कि कश्मीर में विकास पर पिछले एक दशक में बुनियादी ढांचे में हुए विकास में यह स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। हमने भारतमाला परियोजना के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क का विस्तार और सुदृढ़ीकरण किया है। रेलवे ने भी नवाचार को प्रोत्साहन दिया है तथा नवीनतम टेक्नोलॉजी से युक्त नए तरह की रेलगाड़ियों और डिब्बों का उपयोग किया जाने लगा है। कश्मीर घाटी में रेल-संपर्क का शुभारंभ करना, एक प्रमुख उपलब्धि है। शेष भारत के साथ घाटी का रेल-संपर्क, उस क्षेत्र में व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देगा और नई आर्थिक संभावनाओं के द्वार खोलेगा। कश्मीर में, इंजीनियरिंग की यह असाधारण उपलब्धि, हमारे देश के लिए एक ऐतिहासिक माइल स्टोन है।
राष्ट्रपति ने एआई को लेकर भी बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट का अगला चरण है जो हमारे जीवन में अपना स्थान बना चुका है। सरकार ने देश की एआई क्षमताओं को मजबूत करने के लिए इंडिया एआई मिशन शुरू किया है। इस मिशन के तहत ऐसे मॉडल विकसित किए जाएंगे जो भारत की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करेंगे। हमारी आकांक्षा है कि वर्ष 2047 तक भारत, एक ग्लोबल एआई हब बन जाए। इस दिशा में, सामान्य लोगों के लिए तकनीकी प्रगति का सर्वोत्तम उपयोग और प्रशासन-व्यवस्था में सुधार करके उनके जीवन को बेहतर बनाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
राष्ट्रपति ने आगे कहा कि अंतरिक्ष मिशन पर युवा प्रतिभाओं की ऊर्जा से शक्ति प्राप्त करके हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम का अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। शुभांशु शुक्ला की इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की यात्रा ने एक पूरी पीढ़ी को ऊंचे सपने देखने की प्रेरणा दी है। यह अंतरिक्ष-यात्रा भारत के आगामी मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम ‘गगनयान’ के लिए अत्यंत सहायक सिद्ध होगी। नए आत्मविश्वास से भरपूर हमारे युवा, खेल-जगत में अपनी पहचान बना रहे हैं। उदाहरण के लिए, शतरंज में अब भारत के युवाओं का जैसा वर्चस्व है वैसा पहले कभी नहीं था। राष्ट्रीय खेल नीति 2025 में निहित विजन के अनुरूप, हम ऐसे आमूल बदलावों की परिकल्पना कर रहे हैं जिनके बल पर, भारत एक वैश्विक खेल महाशक्ति के रूप में उभरेगा।