RBI Cuts Repo Rate: नए साल से पहले आम जनता को बड़ी राहत देते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने होम और कार लोन की ईएमआई कम कर दी है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कमी का फैसला किया। इसके बाद रेपो रेट घटकर 5.25 प्रतिशत पर आ गया है। इससे पहले फरवरी, अप्रैल और जून में भी आरबीआई ने कटौती की थी। यानी मौजूदा कैलेंडर वर्ष में 6 में से 4 बैठकों में कुल 1.25 प्रतिशत की कमी की जा चुकी है। अगस्त और अक्टूबर में दरें स्थिर रखी गई थीं।
आरबीआई ने अपना रुख “न्यूट्रल” रखा है, जिसका मतलब है कि आने वाले दिनों में भी ब्याज दरें और घट सकती हैं।
महंगाई का अनुमान घटा, ग्रोथ का अनुमान बढ़ा
आरबीआई ने महंगाई के अनुमानों में भी बड़ी कमी की है। केंद्रीय बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में 2 प्रतिशत महंगाई रह सकती है, जो पिछली बार से 0.60 प्रतिशत कम है।
वहीं आर्थिक वृद्धि (ग्रोथ) का अनुमान 0.50 प्रतिशत बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया गया है। यह पहली बार है जब आरबीआई ने ग्रोथ का अनुमान 7 प्रतिशत से ऊपर रखा है। दूसरी तिमाही के लिए रियल ग्रोथ रेट 8.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। आरबीआई गवर्नर ने पहले ही संकेत दिए थे कि महंगाई में गिरावट के बाद आम नागरिकों को ब्याज दरों में राहत मिलेगी।
वैश्विक स्तर पर दरों की तुलना
आरबीआई ने दुनिया के अन्य केंद्रीय बैंकों की तुलना में अभी भी सीमित कटौती की है। उम्मीद जताई जा रही है कि अगले हफ्ते अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक में एक और रेट कट देखने को मिल सकता है।
ग्रोथ अनुमान में बड़ा इजाफा
एमपीसी ने ग्रोथ के अनुमान में 50 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी की है। पहले यह अनुमान 6.8 प्रतिशत था, जिसे अब बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया गया।
तिमाहीवार देखें तो तीसरी तिमाही का ग्रोथ अनुमान 7 प्रतिशत कर दिया गया है, जो पहले 6.4 प्रतिशत था।
महंगाई के तिमाही अनुमान में भारी कमी की गई है।
तीसरी तिमाही: 1.8 प्रतिशत से घटाकर 0.6 प्रतिशत
चौथी तिमाही: 4 प्रतिशत से घटाकर 2.9 प्रतिशत
अगले वर्ष की पहली तिमाही: 4.5 प्रतिशत से घटाकर 3.9 प्रतिशत
बैंकों के लिए 1 लाख करोड़ रुपये की लिक्विडिटी
आरबीआई ने बैंकों को मजबूत लिक्विडिटी देने के लिए बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय बैंक दिसंबर में ओपन मार्केट ऑपरेशन (OMO) के तहत 1,00,000 करोड़ रुपये की सरकारी बॉन्ड खरीद करेगा।
जब आरबीआई ये बॉन्ड खरीदता है, तो बैंकों को सीधे रुपये मिलते हैं, जिससे सिस्टम में पैसा बढ़ता है।
इसके साथ ही, आरबीआई 5 अरब डॉलर का तीन-वर्षीय डॉलर/रुपया स्वैप भी करेगा। इसमें आरबीआई बैंकों से डॉलर खरीदकर रुपये देता है और तीन साल बाद डॉलर लौटाने का वादा करता है। यह प्रणाली में लंबी अवधि की लिक्विडिटी सुनिश्चित करता है।
