Safest Banks India:हर व्यक्ति चाहता है कि उसकी मेहनत की कमाई जिस बैंक में रखी जाए, वह पूरी तरह सुरक्षित रहे। इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने उन बैंकों की सूची जारी की है, जिन्हें देश के सबसे मजबूत और सुरक्षित बैंकिंग संस्थान माना गया है।
इस सूची में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), HDFC बैंक और ICICI बैंक शामिल हैं।
आरबीआई ने इन तीनों को डोमेस्टिक सिस्टेमिकली इम्पोर्टेन्ट बैंक (D-SIB) श्रेणी में रखा है। इसका मतलब है कि ये बैंक भारत की आर्थिक व्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं और इनके सुरक्षित संचालन पर देश की वित्तीय स्थिरता निर्भर करती है।
D-SIB क्या होता है और यह क्यों जरूरी है?
D-SIB वे बैंक होते हैं जिनका आकार बहुत बड़ा होता है और जिनकी वित्तीय भूमिका बेहद अहम होती है।
यदि ये बैंक किसी भी वजह से प्रभावित होते हैं, तो पूरा देश का आर्थिक ढांचा हिल सकता है। यही कारण है कि सरकार और वित्तीय नियामक इन बैंकों की स्थिरता को लेकर बेहद सतर्क रहते हैं। पिछले वर्ष 2024 में भी यही तीनों बैंक D-SIB लिस्ट में शामिल थे। उनके बड़े आकार, मजबूत नेटवर्क और घरेलू अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी के कारण उन्हें फिर से यह दर्जा मिला है। D-SIB का दर्जा मिलने का मतलब है कि इन बैंकों पर अधिक सख्त नियम लागू होते हैं ताकि ये वित्तीय संकट की स्थिति से भी आसानी से उभर सकें।
RBI ने D-SIB की शुरुआत कब की?
भारत में D-SIB का कॉन्सेप्ट आरबीआई ने साल 2014 में शुरू किया था। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वित्तीय स्थिरता की दिशा में की जा रही कोशिशों के साथ कदम मिलाना था। 2015 में पहली बार इन महत्वपूर्ण बैंकों की पहचान शुरू हुई थी, जिसमें सबसे पहले SBI को शामिल किया गया।
इसके बाद ICICI बैंक 2016 में और HDFC बैंक 2017 में इस लिस्ट में जुड़े।
D-SIB का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ये बैंक पर्याप्त पूंजी बनाए रखें और किसी बड़े वित्तीय संकट को संभालने की क्षमता रखते हों। इन पर सामान्य बैंकों की तुलना में ज्यादा कड़े नियम लागू होते हैं।
RBI ने क्या कहा?
2 दिसंबर को आरबीआई ने घोषणा की कि SBI, HDFC बैंक और ICICI बैंक को D-SIB की श्रेणी में उसी स्तर पर रखा जाएगा, जैसा कि वर्ष 2024 की लिस्ट में था। इन बैंकों को कैपिटल कंजर्वेशन बफर के अलावा अतिरिक्त कॉमन इक्विटी टियर 1 (CET1) पूंजी भी बनाए रखनी होगी।
यह कदम इसलिए उठाया जाता है ताकि किसी भी स्थिति में बैंक ग्राहकों की जमा राशि को सुरक्षित रख सकें।

