RBI-TRAI Project: रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) और टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने मिलकर एक नया पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसका उद्देश्य उन प्रमोशनल संदेशों पर नियंत्रण बढ़ाना है, जिनके लिए ग्राहक पहले ही अनुमति दे चुके होते हैं। अक्सर लोग बिना जाने ही कई प्रमोशनल मैसेज प्राप्त करने की सहमति दे देते हैं, जिसके बाद उनके फोन पर लगातार विज्ञापन या मार्केटिंग वाले संदेश आने लगते हैं। इसी समस्या को कम करने के लिए यह नया डिजिटल सिस्टम बनाया गया है।
कुछ चुनिंदा ग्राहकों को ही sms जायेगा
इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत कुछ चुनिंदा ग्राहकों को एक एसएमएस भेजा जाएगा। इस संदेश में एक लिंक होगा, जिसके जरिए ग्राहक यह जांच सकते हैं कि उन्होंने किन-किन प्रमोशनल मैसेज के लिए अनुमति दी थी। यदि वे चाहें, तो इस अनुमति को तुरंत बदल सकते हैं या पूरी तरह रद्द भी कर सकते हैं। यह सुविधा पूरी तरह डिजिटल है और इसे इस्तेमाल करने में केवल कुछ ही मिनट लगेंगे।
ग्राहकों को मिलेगी आजादी और नियंत्रण
ट्राई ने बताया कि इस प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ग्राहक अपनी अनुमति पर पूरी तरह नियंत्रण रख सकेंगे। यह सिस्टम फिलहाल टेस्टिंग के लिए शुरू किया गया है। इस पायलट में 9 टेलीकॉम कंपनियां और 11 बड़े बैंक शामिल हैं। इनमें एसबीआई, पीएनबी, एक्सिस बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, केनरा बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, इंडसइंड बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और पंजाब एंड सिंध बैंक शामिल हैं।
127000′ नंबर से आयेगा एसएमएस
जिन ग्राहकों ने पहले प्रमोशनल संदेशों के लिए अनुमति दी थी, उन्हें ‘127000’ नंबर से एसएमएस मिलेगा। इस एसएमएस में दिया गया लिंक सुरक्षित होगा और इसमें ग्राहक से कोई व्यक्तिगत या वित्तीय जानकारी नहीं मांगी जाएगी। यह लिंक सिर्फ यह दिखाएगा कि आपने किस प्रकार के प्रमोशनल संदेशों के लिए सहमति दी है, और चाहें तो इसे तुरंत बदल सकते हैं।
कुछ ही ग्राहकों को शामिल किया गया
अगर आपको यह एसएमएस नहीं मिलता है, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। यह सिर्फ एक छोटा पायलट टेस्ट है, जिसमें सीमित संख्या में ग्राहकों को शामिल किया गया है। आगे चलकर इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा, जिससे हर मोबाइल उपभोक्ता को अपनी प्रमोशनल अनुमति पर पूरी पकड़ मिल सकेगी।
इस नई व्यवस्था से उम्मीद है कि लोगों को अनचाहे मैसेजों से राहत मिलेगी और उनकी सहमति का दुरुपयोग नहीं हो पाएगा। डिजिटल अनुमति नियंत्रण की दिशा में यह एक बड़ा कदम माना जा रहा है।



