Family and Emotional Intelligence आज 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन को मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1983 में की थी, ताकि परिवारों पर पड़ने वाले सामाजिक, आर्थिक और जनसंख्या से जुड़े असर के बारे में लोगों को जागरूक किया जा सके।
पुणे के MIT-WPU यूनिवर्सिटी के साइकोलॉजी डिपार्टमेंट में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. घुले बताते हैं कि इंसान के जीवन में परिवार की भूमिका बहुत खास होती है, खासकर जब बात बच्चों के भावनात्मक विकास यानी इमोशनल इंटेलिजेंस की आती है। बच्चों के लिए उनका परिवार ही पहला स्कूल होता है, जहां से वे भावनाओं को समझना और उन्हें संभालना सीखते हैं।
क्या होता है इमोशनल इंटेलिजेंस?
इमोशनल इंटेलिजेंस का मतलब होता है।अपनी और दूसरों की भावनाओं को समझना, उन्हें सही तरीके से संभालना और तनाव या गुस्से जैसी भावनाओं को कंट्रोल करना। जब कोई इंसान प्रेशर की स्थिति में भी शांत बना रहे, गुस्से को जल्दी शांत कर ले और दूसरों की भावनाओं की कद्र करे,तो उसे इमोशनली समझदार माना जाता है।
परिवार की बातचीत सिखाती है भावनाएं संभालना
बच्चों की परवरिश में एक जरूरी लेकिन अक्सर नजरअंदाज की जाने वाली चीज़ है। रोजमर्रा की पारिवारिक बातचीत। ये बातचीत चाहे छोटी हो या बड़ी, बच्चों को सिखाती है कि अपनी भावनाओं को कैसे समझें, तनाव से कैसे निपटें और मुश्किल हालात में खुद को कैसे संभालें।
बच्चे बोलचाल से ही सीखते हैं कि किसी भी बात पर कैसे प्रतिक्रिया देनी है। अगर माता-पिता बच्चों से खुलकर और ध्यान से बात करें, तो बच्चे यह सीखते हैं कि गुस्सा या दुख आने पर शांति से कैसे सोचें और कैसे जवाब दें।
अगर मां-बाप बच्चों को बार-बार टोकें या उनकी बात अनसुनी करें, तो बच्चे भावनात्मक रूप से कमजोर हो सकते हैं। लेकिन अगर उन्हें ध्यान से सुना जाए, तो वे आत्मविश्वासी और मजबूत बनते हैं।
परिवार की कहानियां बनाती हैं भावनात्मक रिश्ता
एक और असरदार तरीका जिससे परिवार इमोशनल इंटेलिजेंस को बढ़ा सकते हैं, वह है। कहानी सुनाना। जब दादी-नानी या माता-पिता पुराने समय की बातें, खुशियां और मुश्किलें बच्चों से साझा करते हैं, तो बच्चे परिवार से जुड़ाव महसूस करते हैं।
शोधकर्ता रॉबिन फाइवुश के अनुसार, भले ही किशोर ज़्यादा बातचीत में रुचि न लें, लेकिन वे इन पारिवारिक कहानियों को याद रखते हैं और उनसे भावनात्मक रिश्ता महसूस करते हैं।