Satypal Malik Passed: जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल और अनुभवी राजनेता सत्यपाल मलिक का मंगलवार, 5 अगस्त 2025 को निधन हो गया। 79 वर्ष की आयु में उनका निधन दोपहर 1:20 बजे हुआ। उनके निधन की खबर से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। मलिक अपने राजनीतिक और प्रशासनिक जीवन में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे, खासकर जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के ऐतिहासिक फैसले के दौरान उनका कार्यकाल उल्लेखनीय रहा। उनका जन्म 24 जुलाई 1946 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में हुआ था और उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक छात्र नेता के रूप में की थी।
सत्यपाल मलिक ने विभिन्न राज्यों जैसे बिहार, ओडिशा, गोवा और मेघालय के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया। वे अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते थे, खासकर पुलवामा हमले और किसान आंदोलन के दौरान उनकी टिप्पणियाँ काफी चर्चा में रही थीं। उनके निधन पर कई राजनीतिक हस्तियों ने शोक व्यक्त किया है।
राजनीतिक और प्रशासनिक करियर
Satypal Malik का राजनीतिक सफर 1968-69 में मेरठ विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष बनने के साथ शुरू हुआ। इसके बाद, उन्होंने 1974-77 तक उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य के रूप में कार्य किया। वे 1980 से 1989 तक राज्यसभा और 1989-91 तक 9वीं लोकसभा के सदस्य भी रहे। राज्यपाल के रूप में उन्होंने 2017 में बिहार से अपने कार्यकाल की शुरुआत की, जिसके बाद वे ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, गोवा और मेघालय के राज्यपाल रहे। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में उनके कार्यकाल में ही 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया था।
विवाद और बेबाक बयान
Satypal Malik अपने बेबाक और स्पष्टवादी स्वभाव के लिए जाने जाते थे। हाल ही में वे किरू जलविद्युत परियोजना से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई जांच का सामना कर रहे थे, हालांकि उन्होंने हमेशा अपनी ईमानदारी का दावा किया। 2021 में, उन्होंने किसान आंदोलन का खुलकर समर्थन किया था और 2019 के पुलवामा हमले के संबंध में खुफिया विफलताओं पर भी सवाल उठाए थे। उनके इन बयानों ने उन्हें राजनीतिक हलकों में एक अलग पहचान दिलाई थी। उनके निधन की खबर सबसे पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर आई, जहाँ कई लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। उनका अंतिम संस्कार कल, 6 अगस्त 2025 को किया जाएगा।
परिवार और शोक
Satypal Malik के परिवार में उनकी पत्नी, इकबाल मलिक, जो एक शिक्षिका और पर्यावरणविद् हैं, और उनका बेटा, देव कबीर, जो एक प्रसिद्ध ग्राफिक डिजाइनर हैं, शामिल हैं। उनके निधन पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और समर्थकों ने गहरा दुख व्यक्त किया है, जिन्होंने उन्हें एक अनुभवी राजनेता और निष्ठावान प्रशासक बताया है। देश ने एक ऐसे व्यक्तित्व को खो दिया है, जिनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।