Self-Reliant Woman Farmer through Dragon Fruit Farming बदलते दौर में महिलाएं अब सिर्फ घर तक सीमित नहीं हैं, बल्कि हर क्षेत्र में अपनी मेहनत और समझदारी से नई मिसाल कायम कर रही हैं। खेती भी अब सिर्फ पुरुषों तक सीमित नहीं रही, बल्कि महिलाएं भी इसमें आगे बढ़कर कामयाबी की कहानी लिख रही हैं। ऐसी ही एक मिसाल हैं कलावती मंडल, जो बिहार के कटिहार जिले के फलका प्रखंड के शब्दा गांव की रहने वाली हैं।
संघर्ष से आत्मनिर्भरता तक का सफर
कलावती की जिंदगी एक समय कर्ज और तंगी से घिरी हुई थी। घर की हालत इतनी खराब थी कि लोग उन्हें उधार देने से भी कतराते थे। लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय कुछ अलग करने का निश्चय किया। उन्होंने जीविका समूह से ऋण लिया और ड्रैगन फ्रूट की खेती की शुरुआत की। धीरे-धीरे मेहनत रंग लाई और आज वे हर साल डेढ़ से दो लाख रुपये तक की कमाई कर रही हैं।
यूट्यूब बना प्रेरणा का जरिया
कलावती बताती हैं कि उन्हें ड्रैगन फ्रूट की खेती की जानकारी यूट्यूब से मिली। वीडियो देखकर उन्होंने इसकी तकनीक सीखी और खेती शुरू कर दी। उनके पति ने भी इस काम में पूरा साथ दिया। वे 10 कट्ठा जमीन पर ड्रैगन फ्रूट उगा रही हैं और इसके साथ-साथ मिश्रित खेती भी कर रही हैं। अप्रैल से नवंबर तक पौधे फल देते हैं।
बाजार की कोई चिंता नहीं
कलावती देवी के अनुसार ड्रैगन फ्रूट में औषधीय गुण होने के कारण इसकी बाजार में अच्छी मांग है। जब फल तैयार होता है, तो व्यापारी खुद उनके पास आकर खरीद लेते हैं। अभी यह फल 300 से 400 रुपये प्रति किलो के बीच बिक रहा है।
कम लागत, ज़्यादा मुनाफा
पहले साल कलावती ने पौधों पर करीब डेढ़ लाख रुपये खर्च किए। लेकिन दूसरे साल से लागत में काफी कमी आई। चौथे और पांचवें साल में तो खर्च और भी कम हो गया। आज वे प्रति कट्ठा 30,000 से 40,000 रुपये तक का मुनाफा कमा रही हैं।
खेती के लिए अनुकूल ज़मीन
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए दोमट और बालू मिश्रित मिट्टी तथा सामान्य तापमान जरूरी होता है, जो फलका प्रखंड में उपलब्ध है। प्रखंड कृषि पदाधिकारी पवन कुमार के अनुसार यह इलाका ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए पूरी तरह उपयुक्त है।