Shashi Tharoor MGNREGA Debate: लोकसभा में जैसे ही एक नया विधेयक पेश किया गया, सदन का माहौल अचानक गर्म हो गया। यह विधेयक मनरेगा से जुड़ा है, जिसे देश के गांवों में रोजगार की सबसे बड़ी उम्मीद माना जाता है। सरकार की योजना है कि मनरेगा का नाम बदलकर अब उसे “विकसित भारत–जी राम जी” योजना कहा जाए। इसी प्रस्ताव ने संसद के अंदर तीखी बहस को जन्म दे दिया।
सरकार का कहना है कि नए नाम के साथ योजना को और प्रभावी बनाया जाएगा, लेकिन विपक्ष इसे सिर्फ नाम बदलने की राजनीति बता रहा है। बहस के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच कई बार तीखे शब्दों का इस्तेमाल भी हुआ।
प्रियंका गांधी ने क्यों जताया कड़ा विरोध?
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने इस विधेयक का जोरदार विरोध किया। उन्होंने कहा कि मनरेगा केवल एक सरकारी योजना नहीं है, बल्कि यह गरीबों, मजदूरों और गांवों की जीवनरेखा है। प्रियंका के मुताबिक, इस योजना का नाम महात्मा गांधी से जुड़ा होना सिर्फ सम्मान की बात नहीं, बल्कि उनके विचारों और संघर्ष की पहचान है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि गांधी जी के नाम को हटाना उनके सिद्धांतों को कमजोर करने जैसा है। प्रियंका के भाषण के बाद विपक्षी बेंचों से विरोध और तेज हो गया और सदन का माहौल और भी गरमा गया।
शशि थरूर ने थामा पार्टी का साथ
प्रियंका गांधी के बाद जब शशि थरूर बोलने के लिए खड़े हुए, तो सदन में सन्नाटा छा गया। काफी समय बाद शशि थरूर पूरी मजबूती के साथ पार्टी की लाइन में नजर आए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि वह “जी राम जी” विधेयक का विरोध करते हैं।
थरूर ने कहा कि मनरेगा का नाम महात्मा गांधी के नाम पर होना सिर्फ औपचारिक बात नहीं है, बल्कि यह एक सोच और विचारधारा का प्रतीक है। गांधी का नाम इस योजना से हटाना गलत संदेश देता है।
गांधी का राम राज्य और नाम बदलने का मुद्दा
शशि थरूर ने अपने भाषण में महात्मा गांधी के “राम राज्य” के विचार का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि गांधी का राम राज्य कोई राजनीतिक नारा नहीं था, बल्कि यह एक ऐसा समाज था, जहां इंसाफ, समानता और आत्मनिर्भर गांवों की कल्पना की गई थी।
थरूर ने कहा कि गांधी चाहते थे कि गांव खुद अपने पैरों पर खड़े हों और हर व्यक्ति को सम्मान के साथ काम मिले। उन्होंने भावुक अंदाज में कहा कि गांधी के नाम को हटाना नैतिक रूप से भी ठीक नहीं है। उन्होंने अपने बचपन में सुनी एक पंक्ति याद करते हुए कहा कि “राम के नाम को बदनाम नहीं करना चाहिए।”
बजट बंटवारे पर भी उठाए सवाल
नाम बदलने के साथ-साथ शशि थरूर ने बजट से जुड़े प्रावधानों पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि मनरेगा के बजट का 40 प्रतिशत बोझ अगर सीधे राज्यों पर डाला गया, तो कई राज्यों के लिए यह बड़ी परेशानी बन सकता है। जिन राज्यों की आर्थिक स्थिति पहले से कमजोर है, उनके लिए योजना को चलाना मुश्किल हो जाएगा।
विचारधारा सियासत से ऊपर
शशि थरूर का यह रुख इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि हाल के समय में वह कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ कर चुके हैं। इसके बावजूद संसद में उनका खुलकर पार्टी के साथ खड़ा होना दिखाता है कि विचारधारा के मुद्दे पर वह अब भी अडिग हैं।
