Tral encounter: जम्मू-कश्मीर के त्राल में हुई मुठभेड़ में मारे गए आतंकी आमिर नाज़िर वानी का एक मार्मिक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें उसकी माँ उसे आत्मसमर्पण करने की भावुक अपील करती नज़र आ रही हैं। यह वीडियो न केवल एक मां-बेटे के रिश्ते की त्रासदी को दिखाता है, बल्कि कश्मीर में आतंकवाद के सामाजिक और भावनात्मक पहलुओं पर भी गहरी चोट करता है।
वीडियो में देखा जा सकता है कि आमिर अपनी माँ से वीडियो कॉल के माध्यम से बात कर रहा है। माँ बार-बार उसे कहती हैं, “बेटा, सरेंडर कर दो… तुम्हें कुछ नहीं होगा।” लेकिन आमिर पर कट्टरपंथी विचारधारा का ऐसा असर था कि उसने माँ की एक न सुनी। कुछ ही घंटों बाद त्राल में हुई मुठभेड़ में आमिर मारा गया।
कहा जा रहा है कि ये वीडियो त्राल में मारे गए आतंकी आमिर नाज़िर वानी का है.
वीडियो कॉल पर माँ कह रही है कि सरेंडर कर दो, वानी नहीं माना.
मारा गया. pic.twitter.com/gcKFH2atzt
— Siddhant Mohan (@Siddhantmt) May 15, 2025
आमिर नाज़िर वानी, अशोक चक्र से सम्मानित लांस नायक नाज़िर अहमद वानी का भतीजा था। एक तरफ परिवार ने देश के लिए बलिदान देने वाले को जन्म दिया, दूसरी तरफ उसी परिवार का एक और सदस्य आतंकवाद की राह पर चला गया। यह विरोधाभास कश्मीर की पीड़ा को उजागर करता है, जहां एक ही घर से दो विपरीत रास्ते निकलते हैं—एक देशभक्ति और दूसरा कट्टरपंथ।
इस Tral मुठभेड़ में भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ की संयुक्त कार्रवाई में तीन आतंकियों को मार गिराया गया। अधिकारियों के मुताबिक ये आतंकी जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े थे और क्षेत्र में सुरक्षाबलों पर हमला करने की साजिश रच रहे थे।
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माँ की भावनात्मक अपील इस पूरी घटना का सबसे दिल छू लेने वाला पहलू बन गई है। वीडियो में माँ की आंखों में डर, दर्द और उम्मीद तीनों नज़र आते हैं। उन्होंने हर संभव कोशिश की कि उनका बेटा वापसी का रास्ता चुने, लेकिन आमिर की आंखों में कट्टरपंथ का अंधेरा था।
यह Tral घटना एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि कश्मीर में केवल बंदूक और मुठभेड़ से आतंकवाद खत्म नहीं किया जा सकता। जब तक कट्टरपंथी विचारधारा को समाज से नहीं मिटाया जाएगा, तब तक नए आमिर पैदा होते रहेंगे। स्कूल, कॉलेज, रोजगार और परिवार का सहयोग ही वह ढाल है जो युवाओं को चरमपंथ से बचा सकती है।
साथ ही, माताओं की भूमिका भी अहम है। वे अपने बच्चों को सही राह दिखा सकती हैं, लेकिन उन्हें सामाजिक समर्थन और जागरूकता की जरूरत है। आमिर की माँ की टूटती आवाज़ और डबडबाई आंखें पूरे कश्मीर की माँओं का प्रतीक बन गई हैं, जो हर दिन अपने बेटों को खोने के डर के साए में जीती हैं।
आमिर नाज़िर वानी की मौत एक आतंकवादी के अंत की कहानी जरूर है, लेकिन इससे कहीं ज़्यादा यह उस असफलता की कहानी है जो हम सबकी है—समाज की, परिवार की, और व्यवस्था की। यह समय है जब सिर्फ गोली से नहीं, सोच बदलकर भी आतंकवाद से लड़ने की ज़रूरत है।