Shubhanshu और उनकी पत्नी डॉ. कामना बचपन का प्यार,जानिए समर्पण और इंस्पिरेशन से भरी एक लव स्टोरी

शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष मिशन सिर्फ विज्ञान की सफलता नहीं, बल्कि उनके और डॉ. कामना शुक्ला के प्यार और समर्पण की प्रेरणादायक कहानी है।

the story of shubhanshu and kamna indian astronaut family love and support

The Story of Shubhanshu and Kamna: भारत के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 18 दिन गुजारकर इतिहास रच दिया। वे अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बने, लेकिन खास बात ये रही कि वे ISS पर समय बिताने वाले पहले भारतीय भी बने। जब वे अंतरिक्ष से लौटकर अमेरिका के ह्यूस्टन शहर में क्वारंटीन और रिहैब की प्रक्रिया से गुजर रहे थे, तब उनकी पत्नी डॉ. कामना शुक्ला एक और ज़िम्मेदारी निभा रही थीं। अपने परिवार को फिर से सामान्य जीवन में लौटाना।

डॉ. कामना – सिर्फ जीवनसाथी नहीं,एक मजबूत सहारा

डॉ. कामना शुक्ला पेशे से डेंटिस्ट हैं और लखनऊ में रहती हैं। लेकिन वे सिर्फ डॉक्टर नहीं हैं, बल्कि शुभांशु की सबसे बड़ी ताकत भी हैं। उनकी कहानी किसी फिल्म से कम नहीं लगती। खुद कामना ने एक इंटरव्यू में बताया, “हम दोनों की पहचान तीसरी क्लास से शुरू हुई थी। पहले अच्छे दोस्त बने, फिर धीरे-धीरे ये रिश्ता प्यार में बदल गया।” कामना कहती हैं, “शुभांशु, जिसे मैं गुंजन कहकर बुलाती थी, बचपन में बेहद शांत और शर्मीला था। आज वही लड़का लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बन गया है।”

बेटे की परवरिश और एक मां की ज़िम्मेदारी

शुभांशु के स्पेस मिशन के दौरान उनका 6 साल का बेटा कियाश अपने पापा से दूर रहा। ये वक्त कामना के लिए बहुत भावुक था। उन्होंने बेटे की परवरिश अकेले संभाली, लेकिन कभी शिकायत नहीं की। उनका मानना है कि शुभांशु का सपना, उनके परिवार का भी सपना है। कामना ने शुभांशु की तुलना महाभारत के अर्जुन से की जो हमेशा अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहते थे।

शुभांशु का इमोशनल अलविदा

स्पेस मिशन पर रवाना होने से पहले शुभांशु ने इंस्टाग्राम पर एक भावुक पोस्ट लिखी थी, “25 जून की सुबह हम धरती छोड़ने जा रहे हैं। मैं उन सभी का धन्यवाद करता हूं जिन्होंने इस सफर में मेरा साथ दिया।” उन्होंने खासतौर पर अपनी पत्नी का जिक्र किया, “कामना, तुम्हारे बिना ये सफर अधूरा होता। सच कहूं, तो तुम्हारे बिना इसका कोई मतलब भी नहीं। कोई भी इंसान अकेले अंतरिक्ष नहीं जाता। हम उन सभी के सहयोग से आगे बढ़ते हैं, जो हमारे पीछे खड़े होते हैं।”

एक सच्चे हीरो के पीछे, एक और हीरो

यह सिर्फ एक स्पेस मिशन की कहानी नहीं, बल्कि एक परिवार की साझा ताकत और प्यार की मिसाल है। जहां शुभांशु ने देश के लिए अंतरिक्ष को छू लिया, वहीं कामना ने धरती पर परिवार को थामे रखा। यही दिखाता है कि हर हीरो के पीछे, एक और हीरो हमेशा खड़ा होता है।

Exit mobile version