Voter ID and Aadhaar Linking : भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) मतदाता पहचान पत्र (EPIC) को आधार से जोड़ने के मुद्दे पर तेजी से काम कर रहा है। डुप्लीकेट ईपीआईसी को लेकर लगातार विवाद बढ़ रहे हैं, और इसे रोकने के लिए आधार से लिंकिंग सबसे बेहतर उपाय माना जा रहा है। इससे न सिर्फ फर्जी वोटर आईडी खत्म होगी, बल्कि चुनावी प्रक्रिया भी अधिक पारदर्शी और सुरक्षित होगी।
ECI के सूत्रों के मुताबिक, मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेशकुमार इस प्रक्रिया को जल्द से जल्द लागू कराना चाहते हैं। इसी कारण चुनाव आयोग ने गृह सचिव, विधायी विभाग के सचिव और यूआईडीएआई के सीईओ को इस विषय पर चर्चा के लिए बुलाया है।
मीटिंग कब होगी?
सूत्रों के अनुसार, इस मुद्दे पर अहम बैठक 18 मार्च, 2025 को चुनाव आयोग में होगी। इससे पहले भी आधार को बैंक खातों और पैन कार्ड से जोड़ना कारगर साबित हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सिम कार्ड फर्जीवाड़ा रोकने के लिए भी आधार लिंकिंग को अनिवार्य किया गया था। अब चुनाव आयोग भी इसी दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
डुप्लीकेट ईपीआईसी रोकने के प्रयास
चुनाव आयोग ने पहले भी डुप्लीकेट वोटर आईडी को लेकर हो रही बहस के बीच, 11 मार्च को सभी राजनीतिक दलों के प्रमुखों और वरिष्ठ नेताओं को चर्चा के लिए बुलाया था। इसके अलावा, ईसीआई ने 30 अप्रैल तक सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों से सुझाव मांगे हैं, ताकि मतदाता पहचान पत्र से जुड़ी समस्याओं का स्थायी समाधान निकाला जा सके।
राजनीतिक दलों का रुख
इस मुद्दे को सबसे पहले तृणमूल कांग्रेस ने उठाया था, जिसने ऐसे लोगों की सूची सार्वजनिक की थी, जिनके वोटर आईडी नंबर एक जैसे थे। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के दौरान मतदाता सूची में हेरफेर के आरोप लगाए। अब कई राजनीतिक दल इस मुद्दे पर चर्चा करने और समाधान निकालने के लिए आगे आ रहे हैं।
मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने की प्रक्रिया चुनावी प्रणाली को और मजबूत और पारदर्शी बनाएगी। इससे फर्जी वोटर आईडी और डुप्लीकेसी की समस्या खत्म हो सकती है। अगर यह कदम लागू हो जाता है, तो भारतीय लोकतंत्र को और अधिक निष्पक्ष और भरोसेमंद बनाया जा सकता है।