विधेयक की पृष्ठभूमि और उद्देश्य
Waqf Bill 2024 को पहली बार 8 अगस्त 2024 को संसदीय कार्य एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में पेश किया था। विपक्ष के (Waqf Bill 2024) भारी हंगामे के कारण इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था। जेपीसी, जिसकी अध्यक्षता बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल कर रहे थे, ने इस विधेयक में 14 संशोधनों को स्वीकार किया, जबकि विपक्ष द्वारा प्रस्तावित 44 संशोधन खारिज कर दिए गए। फरवरी 2025 में केंद्रीय कैबिनेट ने इसे मंजूरी दे दी और अब यह विधेयक लोकसभा में चर्चा और मतदान के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है।
सरकार का कहना है कि यह विधेयक वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को पारदर्शी बनाएगा, अवैध अतिक्रमण रोकेगा और जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय में संपत्तियों का पंजीकरण अनिवार्य कर देगा। सरकार के अनुसार, इससे वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग पर लगाम लगेगी। हालांकि, विपक्ष और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) का तर्क है कि यह विधेयक धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है और वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता समाप्त कर देगा।
लोकसभा में नंबर गेम
लोकसभा में कुल 543 सीटें हैं, लेकिन वर्तमान में प्रभावी संख्या 542 है, क्योंकि कुछ सीटें रिक्त हैं। किसी भी विधेयक को पारित (Waqf Bill 2024) करने के लिए साधारण बहुमत, यानी 272 वोटों की आवश्यकता होती है। आइए, यह देखें कि विभिन्न दलों की स्थिति क्या है:
एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन):
- भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) – 240 सांसद
- तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) – 16 सांसद
- जनता दल (यूनाइटेड) (जेडीयू) – 12 सांसद
- लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) – 5 सांसद
- शिवसेना (शिंदे गुट) – 7 सांसद
- राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) – 2 सांसद
- अन्य छोटे दल – 11 सांसद
- कुल – 293 सांसद
एनडीए के पास बहुमत के लिए आवश्यक 272 सांसदों से 21 अधिक सांसद हैं। बीजेपी और इसके सहयोगी दलों (Waqf Bill 2024) ने अपने सभी सांसदों को सदन में उपस्थित रहने और विधेयक के समर्थन में मतदान करने के लिए व्हिप जारी किया है।
विपक्ष (इंडिया गठबंधन):
- कांग्रेस – 99 सांसद
- समाजवादी पार्टी (सपा) – 37 सांसद
- द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) – 22 सांसद
- तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) – 29 सांसद
- अन्य सहयोगी (आरजेडी, आम आदमी पार्टी, आदि) – 46 सांसद
- कुल – 233 सांसद
विपक्ष को बहुमत से 39 सांसद कम हैं। कांग्रेस, सपा, टीएमसी और डीएमके ने अपने सांसदों को इस विधेयक का विरोध करने के लिए व्हिप जारी किया है।
अन्य निर्दलीय और छोटे दल:
- आजाद समाज पार्टी (चंद्रशेखर आजाद) – 1 सांसद
- शिरोमणि अकाली दल – 1 सांसद
- निर्दलीय और छोटे दल – 15 सांसद
लोकसभा में संभावित परिणाम:
यदि पूरा विपक्ष (233 सांसद) और कुछ अन्य (करीब 10-15 सांसद) इस विधेयक के खिलाफ वोट करते हैं, तो विरोध में अधिकतम 248 वोट हो सकते हैं। यह बहुमत (272) से कम है।
वहीं, एनडीए के 293 सांसदों में से अगर कुछ अनुपस्थित रहते हैं, तब भी सरकार के (Waqf Bill 2024) पास 280-285 वोट रहने की संभावना है। यानी लोकसभा में इस विधेयक के पारित होने की संभावना बहुत अधिक है।
राज्यसभा में नंबर गेम
राज्यसभा में कुल 245 सीटें हैं, लेकिन वर्तमान में प्रभावी संख्या 236 है। किसी भी विधेयक के पारित होने के लिए 119 वोट की आवश्यकता होती है।
एनडीए:
- बीजेपी – 98 सांसद
- सहयोगी दल (जेडीयू, टीडीपी, एलजेपी, आदि) – 17 सांसद
- मनोनीत सदस्य – 6
- कुल – 121 सांसद
एनडीए के पास बहुमत से 2 अधिक सांसद हैं।
विपक्ष:
- कांग्रेस – 27 सांसद
- टीएमसी, सपा, डीएमके, आदि – 58 सांसद
- कुल – 85 सांसद
अन्य:
- एआईएडीएमके – 4 सांसद
- निर्दलीय और छोटे दल – 5 सांसद
राज्यसभा में संभावित परिणाम:
अगर विपक्ष छोटे दलों और निर्दलीयों को अपने साथ जोड़ ले, तो विरोध में 90-95 वोट हो सकते हैं। हालांकि, एनडीए की स्थिति यहां मजबूत है और विधेयक पारित होने की संभावना अधिक है।
हॉर्स ट्रेडिंग और राजनीतिक समीकरण
भारतीय राजनीति में हॉर्स ट्रेडिंग कोई नई बात नहीं है। इस बिल को लेकर एनडीए और विपक्ष दोनों अपनी रणनीति तैयार कर रहे हैं:
- एनडीए की रणनीति: जेडीयू और टीडीपी को अपने पक्ष में बनाए रखना और छोटे दलों को समर्थन के लिए राजनैतिक या आर्थिक प्रोत्साहन देना।
- विपक्ष की रणनीति: जेडीयू और टीडीपी को तोड़ने की कोशिश, क्योंकि ये दल मुस्लिम वोट बैंक पर निर्भर हैं।
फिलहाल, एनडीए के सहयोगी दलों ने समर्थन की घोषणा की है, जिससे हॉर्स ट्रेडिंग की संभावना कम दिखती है।
भविष्य का प्रभाव
राजनीतिक प्रभाव:
- बीजेपी इसे अपनी जीत और हिंदुत्व एजेंडे की मजबूती के रूप में पेश करेगी।
- विपक्ष इसे मुस्लिम समुदाय को एकजुट करने के लिए इस्तेमाल करेगा।
सामाजिक और कानूनी प्रभाव:
- मुस्लिम समुदाय में असंतोष बढ़ सकता है।
- विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
विपक्ष के पूर्ण विरोध के बावजूद, लोकसभा और राज्यसभा में इस विधेयक के पारित होने की संभावना अधिक है। एनडीए की संख्या दोनों सदनों में पर्याप्त है और सहयोगी दल फिलहाल एकजुट हैं। हालांकि, इसके राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव लंबे समय तक दिख सकते हैं।