Waqf Bill Bengal violence: पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून के विरोध में हिंसा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा। सोमवार को दक्षिण 24 परगना के भांगड़ में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया और जमकर तोड़फोड़ की। इससे पहले भी पुलिस ने वक्फ कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे ISF विधायक नौशाद सिद्दीकी और उनके समर्थकों पर लाठीचार्ज किया था। इस Waqf Bill हिंसा में मुर्शिदाबाद के गांवों को भी तबाह कर दिया गया, जहां पुलिस और दमकल की गाड़ियां तक नदारद थीं। ममता सरकार की नाकामी और संवेदनहीनता पर सवाल उठ रहे हैं। इस बीच, बीजेपी नेता सुकांत मजूमदार पर TMC ने दंगे भड़काने का आरोप लगाया, लेकिन असली जिम्मेदारी सरकार की ही बनती है।
सरकार सोती रही, भांगड़ जलता रहा
सोमवार को दक्षिण 24 परगना के भांगड़ में Waqf Bill के खिलाफ विरोध प्रदर्शन इतना उग्र हुआ कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया। चारों ओर धुएं के गुबार, सायरन की चीखें और सरकारी नाकामी की बदबू फैली रही। लेकिन हैरत की बात है कि इस गंभीर स्थिति के बावजूद राज्य की ममता सरकार अब भी मौन है।
कहीं कोई प्रशासनिक नियंत्रण नहीं, न कोई दमकल, न कोई ठोस प्रतिक्रिया। क्या ममता बनर्जी की सरकार सिर्फ वोटबैंक की राजनीति तक सिमट कर रह गई है? जब लोगों की संपत्तियां फूंकी जा रही थीं, जब पुलिसकर्मियों पर हमले हो रहे थे, तब मुख्यमंत्री कहां थीं?
लाठीचार्ज, दमन और अराजकता का राज
भांगड़ की घटना कोई पहला उदाहरण नहीं है। शुक्रवार को भी जब ISF विधायक नौशाद सिद्दीकी के नेतृत्व में वक्फ कानून के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरे थे, पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया था। बैरमपुर में सड़कें जाम हुईं, लोगों पर बर्बरता की गई। लेकिन सरकार की प्रतिक्रिया? वही पुराना रटा-रटाया बयान: “स्थिति नियंत्रण में है।”
क्या ममता सरकार के लिए अब विरोध की आवाजें सिर्फ लाठी से दबाने लायक हैं? क्यों हर प्रदर्शन पर पुलिस की बर्बरता ही पहली नीति बन चुकी है? और क्या यह सब सिर्फ इसलिए हो रहा है क्योंकि लोग उस वक्फ कानून का विरोध कर रहे हैं जिसे सरकार ने ज़बरदस्ती थोप दिया है?
मुर्शिदाबाद में ‘गांव जला दिया गया’ और पुलिस नदारद
सीपीआई (एम) के नेता मोहम्मद सलीम की बातों ने सरकार की पोल खोल दी है। उन्होंने बताया कि मुर्शिदाबाद के गांवों को दंगाइयों ने आग के हवाले कर दिया, लूटपाट हुई, तबाही मची – लेकिन पुलिस और दमकल कहीं नजर नहीं आए। क्या ममता बनर्जी की प्राथमिकता सिर्फ कोलकाता तक सीमित है? क्या गांवों में रहने वाले लोगों की जान की कोई कीमत नहीं?
TMC की घबराहट और बीजेपी नेताओं पर आरोप
जब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने पीड़ित हिंदू परिवारों से मिलने के लिए राहत शिविर का दौरा किया, तब तृणमूल कांग्रेस को मिर्ची लग गई। TMC के सांसद साकेत गोखले ने उन पर दंगे भड़काने का आरोप मढ़ दिया। जब सरकार खुद असफल हो, तब जिम्मेदारी दूसरों पर डाल देना TMC की पुरानी आदत है।
ममता बनर्जी से जनता अब यह पूछ रही है — क्या यह लोकतंत्र है या एकपक्षीय तानाशाही? जहां जनता रोती है, गांव जलते हैं, और सत्ता के गलियारों में सिर्फ चुप्पी होती है?
Waqf Bill की आड़ में तुष्टिकरण की राजनीति और विरोध की आवाजों पर लाठियों का राज अब और नहीं चलेगा। पश्चिम बंगाल की जनता अब ममता सरकार की असलियत पहचान चुकी है। ये गुस्सा अब सड़कों पर है — और इसकी गूंज को कोई नहीं रोक सकता।