Importance of Ganga river अगर हम प्रयागराज में लगने वाले कुंभ मेले की बात करें, तो वहां हर समय लाखों लोगों की भीड़ लगी रहती है। श्रद्धालु गंगा में स्नान करने के लिए अपने घर परिवार को छोड़कर लगभग एक महीने तक नदी के किनारे तंबू लगाकर रहते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गंगा नदी कितनी गहरी है और इसकी लंबाई कितनी है। चलिए, आज हम इन्हीं सवालों के जवाब जानते हैं।
गंगा नदी की यात्रा
गंगा नदी का निर्माण उत्तराखंड के देवप्रयाग में भागीरथी और अलकनंदा नदियों के मिलने से होता है। यहां से यह नदी बहते हुए प्रयागराज पहुंचती है, जहां इसका संगम यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी से होता है। यह संगम त्रिवेणी के नाम से प्रसिद्ध है। गंगा जब पश्चिम बंगाल में प्रवेश करती है, तो यह दो धाराओं में बंट जाती है पद्मा और हुगली।
सहायक नदियां और गहराई
गंगा में कई सहायक नदियां आकर मिलती हैं, जिनमें रामगंगा, घाघरा, यमुना, महानंदा, कोसी, सोन, तमसा, गंडकी और पुनपुन प्रमुख हैं। गंगा का उद्गम गंगोत्री ग्लेशियर से होता है, जो हिमालय में 3892 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह नदी उत्तराखंड के पश्चिमी हिमालय से 2510 किलोमीटर का सफर तय कर बंगाल की खाड़ी में सुंदरबन डेल्टा के जरिए मिलती है। गंगा की औसत गहराई लगभग 16 मीटर है, जबकि कुछ जगहों पर यह 30 मीटर तक हो जाती है।
पवित्रता का महत्व
Ganga को भारत की सबसे पवित्र नदी माना जाता है। मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं। यही कारण है कि इसके मुख्य घाटों पर हर समय श्रद्धालुओं का जमावड़ा रहता है। हर साल लाखों लोग इस नदी में डुबकी लगाने के लिए आते हैं।
गंगा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
गंगा सिर्फ एक नदी नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों की आस्था और जीवन का आधार है। यह धार्मिक कर्मकांड, पवित्र स्नान, और त्योहारों का अहम हिस्सा है। गंगा के तट पर बसे वाराणसी, हरिद्वार और प्रयागराज जैसे शहर इसके महत्व को और बढ़ाते हैं।