नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। जाको राखे साइयां, मार सके न कोय। इसका अर्थ ये है कि जिसके ऊपर हाथ भगवान का हो, आशीर्वाद भगवान का हो उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता। हां ये कहावत अहमदाबाद प्लेन क्रैश के दौरान सच साबित हुई। जब हादसे के बाद एयर इंडिया का विमान धू-धू कर जलने लगा। भीषण हादसे में जहां 241 यात्रियों की मौत हो गई, वहीं एक यात्री आग के गोलों को पार कर जिंदा बच गया। वह हादसा स्थल से खुद बाहर निकला और पैदल चलकर एम्बुलेंस में बैठकर अस्पताल गया।
अहमदाबाद में हुए भयावह विमान हादसे के बीच एक चमत्कारिक खबर सामने आई है। सीट नंबर 11ए पर यात्रा कर रहे रमेश विश्वास कुमार नामक यात्री जिंदा पाए गए हैं। उन्हें गंभीर चोटें आई हैं और उन्हें तत्काल स्थानीय अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है। हादसे के इस भयानक मंजर में रमेश का जीवित बचना लोगों के लिए एक आशा की किरण बनकर सामने आया है। घटना स्थल पर मौजूद बचावकर्मियों का कहना है कि रमेश को मलबे के बीच से सुरक्षित बाहर निकाला गया। उन्हें समय पर चिकित्सा सुविधा मिलने से उनकी जान बच पाई।
एयर इंडिया का लंदन जा रहा एक विमान गुरुवार दोपहर अहमदाबाद हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ ही मिनट बाद बीजे मेडिकल कॉलेज परिसर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान में दो पायलट और चालक दल के 10 सदस्य सहित 242 लोग सवार थे। एयर इंडिया के अनुसार, विमान में सवार 230 यात्रियों में से 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, एक कनाडाई और सात पुर्तगाली नागरिक थे। बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान (एआई171) को उड़ान भरने के तुरंत बाद एकदम तेजी से नीचे आते देखा गया और यह दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में बताया जा रहा है कि 241 लोगों की मौत हो गई है। जबकि एक यात्री रमेश विश्वास की जान बची है।
रमेश, जो सीट नंबर 11ए पर बैठे थे, एक ब्रिटिश नागरिक हैं और पिछले 20 साल से लंदन में रह रहे हैं। वह अपने भाई अजय कुमार के साथ भारत में परिवार से मिलने आए थे। हादसे के बाद रमेश ने मीडिया को बताया, टेकऑफ के 30 सेकंड बाद एक जोरदार धमाका हुआ। विमान हवा में लड़खड़ाया और फिर धड़ाम से जमीन पर गिर गया। जब मेरी आंख खुली, तो चारों तरफ लाशें और मलबा था। मैं डर गया, लेकिन किसी तरह सीट से निकला और जलते मलबे से बाहर भागा। चेहरे और पैरों पर गंभीर चोटें थीं, फिर भी लंगड़ाते हुए घटनास्थल से बाहर निकला। रमेश ने कहा कि उन्हें विश्वास नहीं है कि वह कैसे बचे। जबकि उनका भाई अभी भी लापता है।
रमेश विश्वास ने कहा, मुझे भरोसा नहीं होता कि मैं जीवित हूं, ये किसी करिश्मे से कम नहीं है। वहीं एक चश्मदीद, जयेश पटेल ने बताया कि जब उन्होंने तेज आवाज सुनी और धुआं उठता देखा, तब रमेश लगभग 500-600 मीटर की दूरी पर थे। उन्होंने कहा कि मैंने ऐसा कुछ पहले कभी नहीं देखा था। हजारों लोग सड़क पर आ गए। रमेश बाहर आए और उन्हें अस्पताल लेकर जाया गया। एक महिला ने बताया कि उस वक्त रमेश भगवान श्रीकृष्णा के नाम का जाप कर रहे थे। वह यही कह रहे थे कि कान्या जी ने मुझे बचा लिया। कन्हा जी सबकी रक्षा करेंगे। स्थानीय लोगों ने बताया कि रमेश बहुत डरे हुए थे और किसी से बात करने को तैयार नहीं थे।
रमेश का यह बचाव किसी दैवीय चमत्कार से कम नहीं है। रमेश का वीडियो, जिसमें वह मलबे से निकलकर चलते हुए नजर आ रहे हैं, सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। लोगों ने इसे ‘मुकद्दर का सिकंदर’ करार दिया। एक स्थानीय निवासी ने कहा, विमान आग का गोला बन गया था, कोई कैसे बच सकता है? यह भगवान का करम है। रमेश का यह बचाव विश्व के उन दुर्लभ मामलों की याद दिलाता है, जहां विमान हादसों में लोग चमत्कारिक रूप से बच गए। जैसे 2009 में यमनिया फ्लाइट 626 की बहिया बकरी, जो हिंद महासागर में गिरने के बाद अकेली बची थीं।
रमेश की कहानी न केवल उनके साहस की गवाही देती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि विपदा में भी उम्मीद की किरण बाकी रहती है। फिलहाल, रमेश अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में इलाजरत हैं, और देश उनकी सलामती की दुआ कर रहा है। हादसे के बाद देश के गृहमंत्री अमित शाह भी अस्पताल जाकर घायल यात्री रमेश से मिले। रमेश ने ग्रहमंत्री को विस्तार से प्लेन क्रैश के बारे में बताया। फिलहाल हादसे की जांच के आदेश दिए गए हैं। प्लेन क्रैश में जहां यात्रियों की अपनी जान गंवानी पड़ी, वहीं डॉक्टर्स के हॉस्टल में भी कई डॉक्टरों की मौत हुई है।