World TB Day awareness : TB एक ऐसी बीमारी है, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया से फैलती है। यह हवा के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे में पहुंचती है, खासकर तब जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है। भारत में टीबी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य क्षेत्र पर दबाव बढ़ता जा रहा है। सरकार ने 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन बढ़ते मामलों ने इस लक्ष्य को मुश्किल बना दिया है।
फेफड़ों के अलावा शरीर के अन्य हिस्सों में भी हो सकता है टीबी
टीबी को आमतौर पर फेफड़ों की बीमारी माना जाता है, लेकिन यह शरीर के अन्य अंगों में भी फैल सकती है। अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए, तो यह खून और लसिका प्रणाली के जरिए शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुंच सकता है।
मस्तिष्क में टीबी
जब TB का संक्रमण मस्तिष्क की झिल्लियों (मेनिंजेस) तक पहुंचता है, तो इसे ट्यूबरकुलस मैनिंजाइटिस कहा जाता है। यह टीबी का सबसे खतरनाक रूप है। इसमें तेज बुखार, सिरदर्द, गर्दन में अकड़न, उल्टी और भ्रम की स्थिति हो सकती है। कुछ मामलों में यह दौरे या कोमा का कारण भी बन सकता है। अगर सही समय पर इलाज न मिले, तो जान जाने का खतरा बढ़ जाता है।
हड्डियों और जोड़ों में टीबी
कुछ लोगों में फेफड़ों से होते हुए टीबी के बैक्टीरिया हड्डियों और जोड़ों में पहुंच जाते हैं, जिसे ट्यूबरकुलस ऑस्टियोमाइलाइटिस कहा जाता है। यह किसी भी हड्डी या जोड़ को प्रभावित कर सकता है, लेकिन रीढ़ की हड्डी में इसका खतरा ज्यादा होता है। इससे जोड़ों में सूजन, दर्द और विकृति की समस्या हो सकती है।
किडनी में टीबी का संक्रमण
TB का संक्रमण किडनी तक भी पहुंच सकता है, हालांकि ऐसे मामले कम देखे जाते हैं। कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग, जैसे डायबिटीज या एचआईवी के मरीज, किडनी की टीबी के अधिक शिकार होते हैं। इस स्थिति में पेशाब में खून आना, बार-बार या जलन के साथ पेशाब आना जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। कई बार इसके लक्षण स्पष्ट नहीं होते, जिससे इसका जल्दी पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
हृदय में टीबी का खतरा
हृदय में TB का संक्रमण बहुत दुर्लभ होता है, लेकिन अगर यह मायोकार्डिटिस (हृदय की मांसपेशियों में सूजन) का रूप ले ले, तो यह बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। इस स्थिति में मरीज को सीने में दर्द, सांस लेने में दिक्कत और अत्यधिक थकान महसूस हो सकती है। अगर समय पर इलाज न मिले, तो यह दिल की धड़कन को प्रभावित कर सकता है और हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ सकता है।
टीबी से बचाव और जागरूकता जरूरी
TB से बचने के लिए जागरूकता और सही समय पर इलाज बेहद जरूरी है। समय रहते लक्षणों को पहचानकर सही दवाओं से इसका इलाज संभव है। हर साल 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है, ताकि लोग इस बीमारी के बारे में जानें और इससे बचाव के लिए जरूरी कदम उठा सकें।
टीबी सिर्फ फेफड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंगों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। समय पर इसकी पहचान और सही इलाज से गंभीर जटिलताओं से बचा जा सकता है। सरकार और स्वास्थ्य संगठनों द्वारा लगातार इस बीमारी को खत्म करने की कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन इसके लिए लोगों को भी सतर्क रहने और समय पर इलाज कराने की जरूरत है। जागरूकता बढ़ाना और समय पर उपचार लेना इस बीमारी से बचने का सबसे अच्छा तरीका है।