नवरात्रि पर अनोखी पहल: हरदा के सोमानी हॉस्पिटल में बेटी के जन्म पर मुफ्त डिलीवरी, दवाइयों का पूरा खर्च भी उठाएगा अस्पताल

मध्य प्रदेश के हरदा जिले का सोमानी अस्पताल ने नवरात्रि पर कन्या जन्म को सम्मान देने के लिए अनोखी पहल की है। यहां 22 सितंबर से 1 अक्टूबर तक बेटी के जन्म पर डिलीवरी और मेडिसिन बिल्कुल मुफ्त दी जा रही है।

Navratri free delivery scheme for girl child

Navratri free delivery scheme for girl child:नवरात्रि का पर्व शक्ति उपासना और कन्या पूजन का प्रतीक माना जाता है। इसी भाव को साकार करते हुए मध्य प्रदेश के हरदा जिले के एक निजी अस्पताल ने प्रेरणादायी कदम उठाया है।

अस्पताल की घोषणा

हरदा स्थित सोमानी अस्पताल ने नवरात्रि के शुभ अवसर पर घोषणा की है कि 22 सितंबर से 1 अक्टूबर तक यदि किसी भी परिवार में बेटी जन्म लेती है तो अस्पताल डिलीवरी और दवाइयों का पूरा खर्च खुद वहन करेगा। अस्पताल प्रशासन ने साफ किया कि चाहे नॉर्मल डिलीवरी हो या सी-सेक्शन, किसी भी तरह का शुल्क परिजनों से नहीं लिया जाएगा। यह योजना सभी जाति और धर्म की महिलाओं के लिए समान रूप से लागू होगी, जिससे हर परिवार को समान लाभ मिल सके।

अब तक दो बेटियों का जन्म

इस अनोखी पहल के अंतर्गत अभी तक अस्पताल में दो कन्याओं का जन्म हो चुका है। दोनों परिवार बेहद खुश हैं कि बेटी के जन्म पर उन्हें न केवल समाजिक सम्मान मिला बल्कि आर्थिक राहत भी मिली। परिवारजनों ने कहा कि अस्पताल ने उनसे एक रुपया भी नहीं लिया और यह अनुभव उनके जीवन के लिए अविस्मरणीय रहेगा।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

हरदा के कलेक्टर सिद्धार्थ जैन ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा—
“महिलाओं का स्वास्थ्य और सशक्तिकरण हमारे परिवार और समाज की प्रगति का आधार है। अस्पताल की यह योजना न केवल प्रेरणादायी है बल्कि समाज में बेटियों के प्रति सकारात्मक सोच को भी मजबूती प्रदान करती है।”

क्यों है यह पहल खास?

समाज में बेटियों के जन्म पर कई बार परिवार आर्थिक बोझ और चिंता महसूस करते हैं। कई जगहों पर आज भी बेटी के जन्म पर खुशी के बजाय उदासी छा जाती है। ऐसे समय में सोमानी अस्पताल की यह पहल संदेश देती है कि—

बेटी बोझ नहीं, बल्कि घर-परिवार और समाज की सबसे बड़ी पूंजी है।

नवरात्रि जैसे पावन अवसर पर कन्या शक्ति को सम्मान देकर समाज को सही दिशा दिखाई जा सकती है।

यह पहल आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को राहत देने के साथ-साथ “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” जैसे अभियानों को भी बल प्रदान करती है।

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