जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने नई पहल की है। दरअसल समाज को एकजुट करने के लिए ‘सद्भावना संसद’ की श्रृंखला शुरू की गई है। इसी कड़ी में 24 सितंबर को देश के विभिन्न भागों में लगभग 100 जगहों पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
इसी बीच जमीयत सद्भावना मंच के संयोजक मौलाना जावेद सिद्दीकी कासमी ने बताया कि ‘सद्भावना संसद’ के कार्यक्रम महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, असम, तमिलनाडु, बिहार, हरियाणा, मेवात और पंजाब, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, झारखंड और गोवा में 100 जगहों पर आयोजित किए जाएंगे।
सभी धर्मों के प्रमुख नेता भाग लेंगे
वहीं जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने इस वर्ष देवबंद में आयोजित प्रबंधन समिति की सभा को संबोधिक किया था। जहां उन्होंने देशभर में कम से कम एक हजार ‘सद्भावना संसद’ आयोजित किये जाने की घोषणा की थी। उन्होंने बताया था कि अगर समाज और देशवासियों के बीच घृणा पैदा की जाए तो उसका जवाब नफरत नहीं बल्कि प्यार है। इसी विचार को आत्मसात करते हुए 24 सितंबर को देश के विभिन्न भागों में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक दिल्ली में जमीयत उलेमा-हिंद के तत्वावधान में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मुख्यालय के मदनी हॉल में दोपहर 2 बजे ‘सद्भावना संसद’ होगी। जिसमें सभी धर्मों के प्रमुख नेता भाग लेंगे।
घृणा फैलाने वाली शक्तियों के विरुद्ध शांति का संदेश
वहीं इसी तरह देश के अन्य कार्यक्रमों में सभी धर्मों विशेषकर हिंदू और मुस्लिम धर्म के नेताओं को आमंत्रित किया गया है। इस सम्बंध में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सचिव मौलाना नियाज अहमद फारूकी ने कहना कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद घृणा फैलाने वाली इन शक्तियों के विरुद्ध शांति, एकता, आपसी भाईचारे और धार्मिक सद्भाव का वातावरण पैदा करने के लिए मिलजुल कर पहल करना अपना कर्तव्य समझती हैं।