Greater Noida Building Collapse: ग्रेटर नोएडा के रबूपुरा थाना क्षेत्र में मंगलवार को एक बड़ा हादसा हो गया, जहां निर्माणाधीन मकान का लेंटर अचानक ढह गया। हादसे के समय वहां काम कर रहे 10 से अधिक मजदूर मलबे के नीचे दब गए। अचानक छत गिरने से मौके पर भगदड़ जैसी स्थिति बन गई और आसपास के लोगों में अफरा-तफरी मच गई। मौके पर मौजूद स्थानीय लोगों ने शोर सुनकर तुरंत राहत कार्य शुरू किया। कुछ ही देर में पुलिस, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें भी घटनास्थल पर पहुंच गईं और तेज़ी से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया। अब तक लगभग तीन मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया गया है और उन्हें नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है।
मलबे में अभी भी मजदूरों के फंसे होने का अंदेशा
घटना स्थल पर मौजूद लोगों के अनुसार, लेंटर डालने का काम चल ही रहा था कि अचानक पूरी संरचना भरभराकर नीचे गिर गई। प्रशासन का मानना है कि मलबे के नीचे अभी भी कई मजदूर फंसे हो सकते हैं, जिसके चलते राहत कार्य युद्धस्तर पर जारी है। बचाव टीमें मशीनों और अन्य उपकरणों की मदद से तेजी से मलबा हटाने में लगी हुई हैं। हादसे के सही कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन शुरुआती जांच में निर्माण कार्य में लापरवाही, कमजोर ढांचा और सुरक्षा मानकों की अनदेखी को संभावित वजह माना जा रहा है। जिला प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं और कहा है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
भारी पुलिसबल तैनात, भीड़ नियंत्रित करने में मशक्कत
घटनास्थल पर भारी पुलिसबल तैनात किया गया है, ताकि भीड़ को सीमित रखा जा सके और बचाव दलों के कार्य में कोई बाधा न आए। स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में मौके पर इकट्ठा हो गए हैं और बचाव टीमों के साथ सहयोग कर रहे हैं। कई लोग अपने लापता परिजनों को खोजने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे माहौल भावुक और तनावपूर्ण बना हुआ है।
प्रशासन ने दिया मदद का भरोसा,लोगों में डर और गुस्सा दोनों
ग्रेटर नोएडा के प्रशासनिक अधिकारियों ने कहा है कि पीड़ित परिवारों को हर संभव सहायता दी जाएगी। इस हादसे के बाद स्थानीय लोगों में डर और नाराज़गी दोनों दिखाई दे रहे हैं। आसपास के क्षेत्रों के निवासी भी मौके पर पहुंचकर राहत कार्यों में हाथ बंटा रहे हैं और प्रशासन से निर्माण कार्यों में कड़ी निगरानी की मांग कर रहे हैं।
यह हादसा एक बार फिर सवाल खड़े करता है कि निर्माण कार्यों में अक्सर सुरक्षा मानकों की अनदेखी क्यों की जाती है और ऐसी लापरवाही किस तरह मजदूरों की जान पर भारी पड़ती है।



