वाघा बॉर्डर पर हुआ पारंपरिक स्वागत
वाघा चेक पोस्ट पर पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (PSGPC) के अध्यक्ष और पंजाब अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री सरदार रमेश सिंह अरोड़ा, इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ETPB) के प्रमुख साजिद महमूद चौहान और अतिरिक्त सचिव (धार्मिक स्थल) नासिर मुश्ताक ने भारतीय श्रद्धालुओं का गर्मजोशी से स्वागत किया।
पाकिस्तान सरकार की ओर से इस यात्रा के लिए 2,150 सिखों को वीजा जारी किया गया था। इनमें अकाल तख्त के नेता ज्ञानी कुलदीप सिंह गरगज, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की बीबी गुरिंदर कौर, और दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के रविंदर सिंह स्वीटा भी शामिल हैं।
ननकाना साहिब में होगा मुख्य आयोजन
ETPB के प्रवक्ता गुलाम मोहिउद्दीन ने बताया कि मंगलवार को पहुंचे सिख तीर्थयात्री सीमा और आव्रजन औपचारिकताएं पूरी करने के बाद विशेष बसों से गुरुद्वारा जन्मस्थान, ननकाना साहिब के लिए रवाना हुए।
मुख्य समारोह बुधवार, 5 नवंबर 2025 को आयोजित किया जाएगा। ननकाना साहिब, लाहौर से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
सजे-धजे गुरुद्वारे और कड़ी सुरक्षा
नासिर मुश्ताक ने जानकारी दी कि करतारपुर साहिब और गुरु नानक देव जी के जन्मस्थान सहित सभी प्रमुख गुरुद्वारों को आकर्षक लाइटिंग से सजाया गया है। तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए रेस्क्यू 1122 और ETPB की मेडिकल टीमें हर समय तैनात रहेंगी।
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इसके साथ ही सुरक्षा के लिए रेंजर्स, पुलिस, विशेष बलों और ETPB की सुरक्षा शाखा को भी मुस्तैद रखा गया है। इस धार्मिक यात्रा के दौरान भारतीय सिख तीर्थयात्री गुरुद्वारा पंजा साहिब (हसन अब्दाल), गुरुद्वारा सच्चा सौदा (फारूखाबाद) और गुरुद्वारा दरबार साहिब (करतारपुर) भी जाएंगे। सभी श्रद्धालु 13 नवंबर को भारत लौटेंगे।
सीमा पर तनाव के बीच ‘शांति का सेतु’
मई में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक चले तनाव के कारण दोनों देशों के रिश्ते बिगड़ गए थे। दोनों ने एक-दूसरे के साथ अधिकांश संपर्क और हवाई मार्गों का उपयोग तक रोक दिया था। ऐसे माहौल में यह तीर्थयात्रा दोनों देशों के बीच धार्मिक सौहार्द और संवाद का प्रतीक बनकर उभर रही है।