• About
  • Advertise
  • Privacy & Policy
  • Contact
Wednesday, September 24, 2025
News1India
  • Home
  • News ▼
    • Politics
    • Business
    • World
    • Science
  • Entertainment ▼
    • Gaming
    • Music
    • Movie
    • Sports
  • Tech ▼
    • Apps
    • Gear
    • Mobile
    • Startup
  • Lifestyle ▼
    • Food
    • Fashion
    • Health
    • Travel
EDITION
🇮🇳 IN ▼
🌬️
🔔 1
🔍
Home Latest News

अन्य देशों के मुकाबले नेपाली युवा क्रांति के मामले पर नंबर एक, किस वजह से ‘GEN Z’ ने ‘ओली’ को कुर्सी से किया बेदखल

नेपाल में दो दशकों के राजनीतिक बदलावों के बाद भी जनता निराश है। राजशाही के खिलाफ सशस्त्र आंदोलन के बाद माओवादियों की सरकार बनी लेकिन जनता की उम्मीदें पूरी नहीं हुईं।

by Vinod
September 10, 2025
in Latest News, TOP NEWS, राजनीति, विदेश
0
492
SHARES
1.4k
VIEWS
Share on FacebookShare on Twitter

नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। नेपाली सूरमाओं की रंगबाजी ने कमाल कर दिया। जांबाज युवा बिग्रेड ने बड़े-बड़े किलों को ध्वस्त करते हुए ओली सरकार से नेपाल को आजाद करवा लिया। निडर होकर लड़के-लड़कियां डटे रहे। सीने पर गोली खाई। शरीर पर बारूद को झेला। सिर पर लाठी खाई, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। महज 26 घंटे के अंदर ओली सरकार का सिंहासन हिला दिया। पीएम ओली को आवास से भागने पर मजबूर कर दिया। सरकार को घुटनों पर ला दिया। सोशल मीडिया पर लगा बैन भी हटवा लिया। दो दिन चले रंण में जीत नेपाली यूथ को मिली। सेना ने भी पीट थपथपाई और अहिंसा के मार्ग पर चलने की अपील की। जिसका असर भी नेपाल की सड़कों पर दिखने लगा है। युवा हथियार सरेंडर कर रहे हैं और अपने-अपने घरों को लौट रहे हैं।

नेपाल की कमान राजा के हाथों में हुआ करती थी। तभी नेपाली युवा राजतंत्र के खिलाफ एकजुट होने लगे। ये दौर था 1996 का, तब राजशाही के खिलाफ युवाओं ने माओवादियों के साथ मिलकर सशस्त्र आंदोलन शुरू किया। दस वर्ष तक चले इस गृहयुद्ध में 16,000 से अधिक लोग मारे गए, और 2006 में शांति समझौते के साथ इसका अंत हुआ । नेपाल अब हिन्दू राष्ट्र नहीं रहा बल्कि एक गणतांत्रिक देश बन गया । नेपाल में 2008 में माओवादियों की जीत के बाद 240 साल पुरानी राजशाही खत्म हुई। नेपाल ने 2015 में नए संविधान के साथ खुद को एक संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया। फिर भी आज नेपाल अपने अतीत की जंजीरों से पूरी तरह आजाद नहीं हो पाया है। लाल क्रांति का सपना अधूरा रह गया, लोकतंत्र लगातार उलझनों में घिरा रहा। राजशाही समय-समय पर सिर उठाकर अपने लिए अवसर की तलाश करती रही।

Related posts

Delhi Metro

Delhi Metro: मेट्रो में रील और डांस वीडियो शूटिंग करने वालों पर नकेल, नियम तोड़ा तो लगेगा जुर्माना

September 24, 2025
Gold Rate Today

Gold Rate Today : नवरात्रि पर तीसरे दिन चमका सोने का भाव, जानें क्या कहते हैं आज के ताजा रेट ?

September 24, 2025

लोकतंत्र से निराशा के बीच नेपाल में राजशाही की वापसी की मांग ने फिर से जोर पकड़ा है। 2025 में काठमांडू और अन्य शहरों में हजारों लोग राजा वापस आओ, के नारे के साथ सड़कों पर उतरे पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह, जिन्हें 2008 में सत्ता से हटाया गया था, एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उनके समर्थकों का मानना है कि राजशाही के दौर में कम से कम स्थिरता तो थी और भ्रष्टाचार आज की तुलना में कम था। ग्रामीण और पारंपरिक इलाकों में एक वर्ग आज भी मानता है कि राजशाही के दौर में सुरक्षा और स्थिरता थी । संवैधानिक राजशाही और हिंदू राष्ट्र की वकालत करने वाली राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) इस आंदोलन का नेतृत्व कर रही है। लोकतांत्रिक व्यवस्था से निराश नेपाल का एक वर्ग मुखर होकर राजशाही वापस लाने की मांग कर रहा है। इसी साल राजतंत्र की बहाली को लेकर नेपाल में कई आंदोलन हुए। आंदोलन में पुलिस की गोली से दर्जनभर से ज्यादा लोग मारे गए।

दरअसल, नेपाल की क्रांति के बाद माओवादी नेताओं जैसे पुष्पकमल दहल प्रचंड ने सत्ता हासिल तो की लेकिन नेपाल का संसदीय लोकतंत्र तमाशा बनकर रह गया । नेता सत्ता और भ्रष्टाचार के लिए तिकड़मबाजी में उलझ गए। जनता से किया गया समृद्धि, शिक्षा और स्वास्थ्य का सपना अधूरा ही रहा । आज लोग कहते हैं कि माओवादी क्रांति ने सत्ता का चेहरा बदला, व्यवस्था नहीं । नेपाल में राजनीति कितनी अस्थिर रही इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2006 से 2025 तक नेपाल में 14 बार प्रधानमंत्री बदले हैं। इस दौरान पुष्प कमल दहल प्रचंड, माधव कुमार नेपाल, बाबूराम भट्टराई, सुशील कोइराला, केपी शर्मा ओली और शेर बहादुर देऊबा जैसे कद्दावर नाम हैं, जिन्होंने देश की सत्ता संभाली। 2008 में राजशाही के खात्मे के बाद नेपाल ने लोकतंत्र की राह पकड़ी, लेकिन यह राह स्थिरता से कोसों दूर रही। 17 सालों में 14 सरकारें बदल चुकी हैं, और कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है।

नेपाल दुनिया के सबसे गरीब देशों में आता है। विश्व बैंक और अन्य स्रोतों के अनुसार नेपाल दक्षिण एशिया में अफगानिस्तान के बाद दूसरा सबसे गरीब देश है। 2024 में नेपाल की प्रति व्यक्ति आय लगभग 1,381 डालर थी। 2025 में भारत की प्रति व्यक्ति आय 2,878 डालर है जो नेपाल से दोगुनी से अधिक है। गरीबी और बेरोजगारी के चलते युवा काफी गुस्से में थे। एक रिपोर्ट के अनुसार नेपाल में 19 फीसदी युवा बेरोजगार हैं। रिपोर्ट का दावा है कि सैकड़ों युवा लड़कों को एक प्राईवेट कंपनी ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए रूस भेजा। सैकड़ों नेपाली जंग में मारे गए। इनसब के बीच ओली सरकार ने सोशल मीडिया पर बैन लगा दिया, जिसके बाद यूथ सड़क पर उतर आए। यूथ की रंगबाजी के आगे ओली का सम्राज्य धू-धू कर जल गया। नेपाली यूथ ने हर सरकारी इमारत पर कब्जा कर लिया। सरकारी भवनों के अंदर लूटपाट करने के साथ ही आग भी लगाई गई। पूर्व पीएम को पीटा गया। पूर्व पीएम की पत्नी की हत्या भी कर दी गई।

बता दें, नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और मशहूर लेखक बीपी कोइराला ने अपनी किताब नरेंद्र डाई में लिखा है कि हमने सालों तक सहा, चुपचाप बैठे रहे, लेकिन अब गुस्से की ज्वाला बाहर आनी चाहिए। इस समाज की जड़ता ने हमें दबाया, अब विद्रोह का समय है। उन्होंने बेशक इन पंक्तियों को राणा शासन के दमन के विरोध में लिखा था, लेकिन नेपाल की मौजूदा स्थिति को देखकर लग रहा है कि मानो जैसे उन्होंने दशकों पहले ही नेपाल की इस बगावत की भविष्यवाणी कर दी थी। कोइराला ने अपनी कलम से विद्रोह की जिस अलख को जगाने की कोशिश की। वह काठमांडू की सड़कों पर सुलगती दिखी। नेपाल की सड़कों पर आज विद्रोह का जो बिगुल बजा है, वह सिर्फ युवाओं की अचानक की गई बगावत नहीं है बल्कि सालों से धधक रहा ज्वालामुखी है, जो अब फट पड़ा है।

इस हिंसा को बेशक जायज ठहराया नहीं जा सकता, लेकिन वर्षों के भ्रष्टाचार से लेकर नेपोटिज्म और ज्यादती का हिसाब चुकता करने के लिए युवा सड़कों पर हैं और हिंसा का रास्ता अख्तियार कर रहे हैं। तभी तो विद्रोही भीड़ मौजूदा हुक्मरानों से लेकर पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवार वालों पर हमला करने से भी नहीं चूकी। अब सवाल है कि नेपाल में इतने दशकों से आखिर हो क्या रहा था, जो लोगों का गुस्सा इस कदर भड़का हुआ है। नेपाल के प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ इस गुस्से की वजह तो समझ आती है लेकिन पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवार पर हमले हैरान करने वाले रहे। इसका जवाब नेपाल में बरसों से हुए घोटालों की गर्त में छिपा है। नेपाल की सियासत में गहरे तक पैठ कर चुके भ्रष्टाचार ने देश में उद्योग-धंधों को चौपट करना शुरू कर दिया।

निवेशकों ने दूरी बनानी शुरू कर दी। इसका सीधा असर रोजगार पर भी पड़ा। बड़ी संख्या में युवाओं ने काम की तलाश में भारत से लेकर मलेशिया और गल्फ का रुख करना शुरू किया। इससे युवाओं में धीरे-धीरे सियासत के प्रति नफरत पनपने लगी। देश में राजशाही के पतन से लेकर, माओवादी आंदोलन और लोकतंत्र का पायदान चढ़ने तक देश में सत्ता का स्वरूप तो लगातार बदलता रहा लेकिन इस सत्ता को वही चेहरे हथियाते रहे। वही पुराने नेता, उनकी पार्टियां और उनके परिवार। नेपाल में भ्रष्टाचार इस कदर फैला है कि करप्शन के इंडेक्स में 180 देशों में वह 107वें पायदान पर है। देश के 84 फीसदी से ज्यादा लोग डंके की चोट पर बोलते हैं कि उनकी सरकार सिर से लेकर पैर तक करप्शन में डूबी हुई है।

इसी को लेकर इस साल की शुरुआत से ही युवाओं ने सोशल मीडिया पर नेपोटिज्म के खिलाफ खुलकर बोलना शुरू किया। सोशल मीडिया पर नेपोटिज्म के खिलाफ जमकर हैशटैग ट्रेंड होने लगे तो इस बीच सरकार ने कई सोशल मीडिया अकाउंट्स पर बैन लगा दिया। इतिहास गवाह है कि लंबे समय तक शोषण झेल रही जनता जब बगावत पर उतर आती है तो वह अच्छे और बुरे का फर्क भूल जाती है। उसे बस अपने साथ हुआ अन्याय नजर आता है। अब नेपाल में ओली की सरकार नहीं है। नेपाल में सेना का कंट्रोल है। यूथ जल्द से जल्द देश में नई सरकार की मांग कर रहा है। अब भी कुछ आंदोलनकारी सरकार को डटे हुए हैं। तीन नाम पीएम की रेस में आगे बताए जा रहे हैं। तीनों ने इस आंदोलन में अहम भूमिका निभाई है।

Tags: "Nepal ArmyNepal NewsNepal Protest NewsNepal Violence 2025PM OliViolence in Nepalyouth movement in Nepal
Share197Tweet123Share49
Previous Post

Kunicka के समर्थन में उतरी दूधवालों की कम्युनिटी, बेटे अयान Zeishan Quadri को दिया करारा जवाब!”

Next Post

Delhi में ISIS आतंकी गिरफ़्तार देशभर में छापेमारी, कई संदिग्धों की गिरफ्तारी,रांची से कौन पकड़ा गया

Vinod

Vinod

Next Post
Delhi ISIS Terrorist Arrest Case

Delhi में ISIS आतंकी गिरफ़्तार देशभर में छापेमारी, कई संदिग्धों की गिरफ्तारी,रांची से कौन पकड़ा गया

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

UPCA
Delhi Metro

Delhi Metro: मेट्रो में रील और डांस वीडियो शूटिंग करने वालों पर नकेल, नियम तोड़ा तो लगेगा जुर्माना

September 24, 2025
India Pakistan Asia Cup Clash News

ASIA CUP 2025: क्या फाइनल में भारत-पाकिस्तान फिर आमने-सामने आ सकते है जानिए क्या कहते है समीकरण

September 24, 2025
Gold Rate Today

Gold Rate Today : नवरात्रि पर तीसरे दिन चमका सोने का भाव, जानें क्या कहते हैं आज के ताजा रेट ?

September 24, 2025
Delhi

Delhi का ‘पवित्र’ आश्रम बना हवस का अड्डा: छात्राओं का यौन शोषण, बाबा फरार!

September 24, 2025
Lucknow

Lucknow में पुलिस की छुट्टियां रद्द: नवरात्रि और दशहरा पर ‘ऑल आउट’ सुरक्षा की तैयारी

September 24, 2025
Mission Shakti

योगी की ‘शेरनियां’ मैदान में: यूपी में महिला पुलिस का बढ़ता दबदबा, अपराधियों पर भारी

September 24, 2025
Cement Price Cut After GST

Cement Price Cut:अब घर बनाना हुआ आसान,कौन सी कंपनी ने किया बड़ा ऐलान घटाए दाम,सस्ता हुआ सीमेंट

September 24, 2025
Sitapur

Sitapur बीएसए पर हेडमास्टर का हमला: बेल्ट से पीटा, शिक्षा विभाग में मचा हड़कंप

September 24, 2025
AI Railway Ticket System

Railway New Ticketing System: क्या अब पहले ही पता चल जाएगा टिकट कंफर्म होगा या नहीं,स्लीपर क्लास यात्रियों को बड़ी राहत

September 24, 2025
Saroj Sargam

Mirzapur की बिरहा गायिका सरोज सरगम: विवादित गीतों पर हंगामा और गिरफ्तारी

September 24, 2025
news 1 india

Copyright © 2017 JNews.

Navigate Site

  • About
  • Advertise
  • Privacy & Policy
  • Contact

Follow Us

No Result
View All Result
  • Home
  • News
    • Politics
    • Business
    • World
    • Science
  • Entertainment
    • Gaming
    • Music
    • Movie
    • Sports
  • Tech
    • Apps
    • Gear
    • Mobile
    • Startup
  • Lifestyle
    • Food
    • Fashion
    • Health
    • Travel

Copyright © 2017 JNews.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

Go to mobile version