पुलिस की FIR में हुआ Nagpur Violence की खूनी साजिश का पर्दाफाश, जानिए किन्हें मारना चाहती थी ‘औरंगजेब एंड बिग्रेड’

नागपुर में औरंगजेब को लेकर हिंसा भड़की, उपद्रवियों ने आगजनी, पथराव के साथ पुलिस पर हमला किया, पुलिस का पलटवार, दर्ज हुई दंगाईयों के खिलाफ एफआईआर।

नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। औरंगजेब की कब्र को लेकर हुए प्रदर्शन के बाद महाराष्ट्र के नागपुर में हिंसा भड़क गई। ‘औरंगजेब एंड कंपनी’ के शातिरों ने शहर को लहूलुहान कर दिया। पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद दंगाईयों पर काबू पाया और अब एक्शन भी शुरू कर दिया है। पुलिस की तरफ से दंगे को लेकर एफआईआर दर्ज करवाई गई है। दर्ज एफआईआर की कॉपी से कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं। पुलिस ने दंगे में 51 आरोपियों को नामजद किया है। पुलिस की 10 स्पेशल टीमें दंगाईयों को दबोचने के लिए ऑपरेशन चलाए हुए हैं। 60 से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। दंगे के मास्टरमाइंड की भी पुलिस ने पहचान कर ली है।

क्या है पूरा मामला

दरअसल, नागपुर में औरंगजेब को लेकर हिंसा भड़क गई। एक समुदाय के सैकड़ों लोग सड़क पर उतर आए और आगजनी के साथ पुलिस पर पथराव किया। दर्जनों वाहनों को आग के हवाले कर दिया। डीएसपी रैंक के अधिकारी पर कुल्हाड़ी से हमला किया। जिसके बाद पुलिस ने मोर्चा संभाला और करी तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद दंगाईयों पर काबू पाया। फिलहाल नागपुर के 11 थाना क्षेत्रों में आज भी कर्फ्यू जारी है। हालांकि नागपुर में हालात सामान्य हैं। ऐहतियात के दौर पर पुलिस की निगरानी है। नागपुर पुलिस इलाकों का जायजा ले रही है। कर्फ्यू खोलने पर जल्द फैसला लिया जा सकता है। नागपुर हिंसा में 57 धाराओं में एफआईआर दर्ज हुई है। इनमें बीएनएस की 46 धाराएं लगाई गई हैं। मामले में 51 आरोपी नामजद हैं।

पुलिस के अधिकारियों को मारना चाहते थे उपद्रवी

एफआईआर में कहा गया कि भीड़ ने भड़काऊ नारे लगाने शुरू कर दिए और झूठी अफवाहें फैलाते हुए कहा अभी पुलिस को दिखा देंगे। हम उन्हें या किसी भी हिंदू को नहीं छोड़ेंगी। पुलिस की चेतावनी के बावजूद भीड़ ने कुल्हाड़ियों, पत्थरों, डंडों और अन्य घातक वस्तुओं समेत खतरनाक हथियारों से खुद को लैस किया था। उपद्रवियों ने पूरे इलाके में आतंक मचाया। भीड़ ने जानबूझकर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने और सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश की। भीड़ ने पुलिस पर घातक हथियारों से हमला किया। पुलिस पर पत्थर और यहां तक कि पेट्रोल बम फेंके, ताकि ड्यूटी पर मौजूद अधिकारियों को मार डाला जाए।

महिला अधिकारियों का किया यौन उत्पीड़न

एफआईआर के मुताबिक, उपद्रवियों की तरफ से, पुलिस अधिकारियों को सांप्रदायिक ताने दिए गए और मौखिक रूप से गाली दी गई। कहा गया कि आप हिंदू पुलिस अधिकारी हैं। आपने हमारे धार्मिक कपड़े को जलाने में मदद की। उपद्रवियों ने यौन हिंसा की भी कोशिश की। एक महिला पुलिस कांस्टेबल पर हमला किया गया। भीड़ ने उसे अनुचित तरीके से छुआ। उसकी वर्दी उतारने की कोशिश की और अश्लील टिप्पणियां कीं। अन्य महिला अधिकारियों को भी यौन उत्पीड़न, अश्लील इशारे और मौखिक दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा। उपद्रवियों ने एक महिला कांस्टेबल को पकड़ा और उसे धक्का देकर जमीन पर भी गिरा दिया। किसी तरह से महिला कांस्टेबल दंगाईयों के चंगुल से छूटने में कामयाब रही।

500-600 लोग हिंसा में थे शामिल

एफआईआर में कहा गया कि घटना के वक्त 500-600 मुस्लिम लोग छत्रपति शिवाजी महाराज चौक पहुंच गए थे। भीड़ एकत्रित हुई तो पुलिस ने एनाउंस किया कि यहां बड़ी संख्या में लोग एकत्रित नहीं हो सकते हैं। ये नियम विरुद्ध है। आप लोग अपने घर चले जाएं। यह लोग किसी बात को सुनने के लिए तैयार नहीं थे और एक-दूसरे को उकसाने में लगे थे। पुलिस पर आरोप लगा रहे थे। चिल्ला रहे थे कि अभी पुलिस को दिखाते हैं। इनको और किसी भी हिंदू को छोड़ने का नहीं। इन्होंने ही सारा खेल किया है। इन्होंने ही ये सब किया है। भीड़ उग्र हो गई और पुलिस की तरफ आगे बढ़ने लगी। घातक हथियार हवा में लहराए। पेट्रोल बम पुलिस वालों की तरफ फेंके।

एफआईआर में नामजद है फहीम शमीम खान

नागपुर पुलिस का दावा है कि 38 साल के फहीम शमीम खान के भाषण के बाद ही नागपुर में हिंसा भड़की थी। उस पर समुदाय को भड़काने के लिए भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। वह माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी का नागपुर अध्यक्ष है। फहीम शमीम खान ने 2024 में नागपुर लोकसभा सीट से चुनाव भी लड़ा था। उसने 2024 में माइनॉरिटीज डेमोक्रेटिक पार्टी से नागपुर लोकसभा सीट से नितिन गडकरी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। इस हिंसा का मुख्य आरोपी होने की वजह से उसका नाम एफआईआर में भी नामजद है। पुलिस की मानें तो फहीम ने करीब दो से तीन सौ लोगों के साथ मस्जिद में बैठकर हिंसा की साजिश रची। पत्थर से लेकर पेट्रेल बमों की व्यवस्था करवाई। नागपुर में कश्मीर मॉडल को जमीन पर उतारा। फिर उपद्रवियों ने कश्मीर के पत्थरबाजों की तरह पुलिस को घेर कर हमला किया।

जिसके बाद औरंगजेब का मुद्दा गरमा गया

एक्टर विक्की कौशल की ’छावा’ फिल्म कुछ समय पहले रिलीज हुई थी, जिसके बाद औरंगजेब का मुद्दा गरमा गया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी कुछ दिन पहले औरंगजेब की कब्र हटाने की बात कही थी। विवाद तब और बढ़ गया जब समाजवादी पार्टी के नेता अबु आजमी ने औरंगजेब को अच्छा शासक बताते हुए कहा था कि उनका मानना है कि औरंगजेब क्रूर नहीं था। उनका दावा था कि फिल्मों के जरिए औरंगजेब की गलत छवि पेश की जा रही है। इसके बाद से ही औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग तेज हो गई है। कुछ पहले ही विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने धमकी दी थी कि अगर औरंगजेब की कब्र सरकार नहीं हटाती है तो बाबरी जैसा हश्र होगा। इसके बाद विहिप की तरफ से औरंगजेब के खिलाफ प्रदर्शन किया गया। तभी एक गलत अफवाह के चलते उपद्रवियों ने शांत शहर नागपुर को अशांत कर दिया।

 

Exit mobile version