BJP Parliamentary Workshop 2025: अब राजनीति सिर्फ चुनाव तक सीमित नहीं रही। यहाँ हर छोटी-बड़ी चाल भी अहम हो गई है। इसी बीच भाजपा ने अपने सांसदों के लिए दो दिवसीय कार्यशाला रखी है। इसमें सबसे चर्चा तब हुई जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद आखिरी पंक्ति में बैठकर साधारण कार्यकर्ता जैसा व्यवहार करते दिखे। इससे कई सवाल उठ रहे हैं , क्या यह सिर्फ सादगी दिखाने का तरीका है या इसके पीछे कोई बड़ी रणनीति छिपी है? राजनीतिक हलकों में यही चर्चा जोरों पर है। उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 को लेकर भाजपा हर वोट को लेकर गंभीर है और इसे लेकर पूरी तैयारी कर रही है।
कार्यशाला में क्या-क्या हुआ?
कार्यशाला की शुरुआत दीप प्रज्वलन और वंदे मातरम से हुई। सांसदों ने जीएसटी सुधारों में पीएम मोदी की भूमिका का स्वागत किया। इसके बाद कृषि, शिक्षा, रक्षा, ऊर्जा और रेलवे जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। पहले दिन का मुख्य विषय विकास और सोशल मीडिया रहा। लेकिन सबकी नजर उस वक्त गई जब पीएम मोदी सामने बैठने के बजाय आखिरी पंक्ति में जाकर बैठ गए। इसे कुछ लोग सादगी का प्रतीक मान रहे हैं, तो कुछ इसे संकेत बता रहे हैं कि भाजपा उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर बेहद सतर्क है। दूसरे दिन सांसदों को गुप्त मतदान और वोटिंग प्रक्रिया का विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि कोई भी वोट गलती से रद्द न हो। इससे साफ है कि पार्टी हर वोट की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहती है।
उपराष्ट्रपति चुनाव में मुकाबला
9 सितंबर 2025 को उपराष्ट्रपति चुनाव होगा। इसमें NDA उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन और विपक्षी INDIA ब्लॉक के उम्मीदवार जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी आमने-सामने होंगे। राधाकृष्णन तमिलनाडु से हैं और महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। वहीं रेड्डी तेलंगाना से हैं और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रह चुके हैं। दोनों दक्षिण भारत से हैं, इसलिए यह मुकाबला क्षेत्रीय और वैचारिक दोनों रूपों में अहम बन गया है।
18 सांसद तय करेंगे किसकी जीत होगी
गणित के अनुसार NDA के पास 439 वोट हैं जबकि विपक्ष के पास 324 वोट का अनुमान है। मगर असली खेल उन 18 सांसदों का है, जिन्होंने अभी तक अपनी तरफ स्पष्ट नहीं किया है। इनमें बीजेडी, बीआरएस, अकाली दल और कुछ निर्दलीय सांसद शामिल हैं। गुप्त मतदान और क्रॉस वोटिंग से चुनाव का परिणाम किसी भी तरफ जा सकता है।
राजनीति से आगे का संदेश
हालाँकि आंकड़ों में NDA आगे दिख रही है, लेकिन विपक्ष इसे “संविधान बनाम आरएसएस-बीजेपी” की लड़ाई बताकर माहौल बनाने की कोशिश कर रहा है। अगर विपक्ष सभी वोट जुटा लेता है तो हार के बावजूद यह उनके लिए मनोबल बढ़ाने वाली बात होगी। यह चुनाव सिर्फ जीत-हार का खेल नहीं, बल्कि राजनीति का बड़ा संकेत बन गया है।