नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाडेन ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में बड़ा फैसला करते हुए यूक्रेन को रूस के खिलाफ वार में अमेरिकी मिसाइल के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी। जिसके बाद यूक्रेनी सेना ने खतरनाक एटीएसीएमएस से रूस पर हमला बोल दिया। यूक्रेन के हमले के बाद दुनिया की नजर अब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ओर हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि रूस यूक्रेन के अलावा यूरोप के देशों पर एटमबम गिरा सकता है।
पहली बार अमेरिका की मिसाइल का इस्तेमाल
रूस और यूक्रेन के बीच करीब 1000 दिन से जंग जारी है। कुछ घंटे पहले रूस ने करीब 150 द्रोन के जरिए यूक्रेन के कई शहरों पर बम गिराए। इसी बीच राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने अमेरिका से रूस पर लंबी दूरी की मिसाइलों से हमले की परमिशन मांगी थी। प्रेसीडेंट जो बाइडेन ने इसकी मंजूरी भी दे दी। जिसके बाद युक्रेन ने एटीएसीएमएस का इस्तेमाल कर रूस के महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों और एयरबेस को निशाना बनाया है। युक्रेन का दावा है कि इस मिसाइल के जरिए रूसी हेलीकॉप्टर, गोला-बारूद और अन्य सैन्य उपकरण को भारी नुकसान पहुंचाया गया है।
अमेरिका ने यूक्रेन को दी एटीएसीएमएस
दरअसल, अमेरिका ने ही यूक्रेन को आर्मी टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम (एटीएसीएमएस) की आपूर्ति की है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की काफी समय से अमेरिका से लंबी दूरी की मिसाइलों के इस्तेमाल की इजाजत मांग रहे थे। जो बाइडन ने तनाव बढ़ने की चिंताओं के चलते यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइल के इस्तेमाल की मंजूरी नहीं दी थी। अमेरिका ने अब रूस में 10 हजार से ज्यादा उत्तर कोरियाई सैनिकों की रूस में मौजूदगी की बात कहकर मिसाइल हमले की मंजूरी दी है।
एटीएसीएमएस खतरनाक मिसाइल
एटीएसीएमएस अमेरिका की बनाई गई एक ताकतवर और बेहतरीन टैक्टिकल मिसाइल है। इसका इस्तेमाल लंबी दूरी के सटीक हमलों के लिए किया जाता है। एटीएसीएमएस मिसाइल की रेंज लगभग 300 किमी तक है, जिससे यह दुश्मन के दूरस्थ ठिकानों को आसानी से निशाना बना सकती है। जीपीएस तकनीक से लैस होने की वजह से यह मिसाइल अपने लक्ष्य को सटीक और तेजी से हिट करती है। इसमें कई प्रकार के वॉरहेड लगाए जा सकते हैं, जैसे क्लस्टर म्यूनिशन और सिंगल वॉरहेड, जो दुश्मन के अहम ठिकानों को ध्वस्त करने में सक्षम हैं।
प्रतिक्रिया में परमाणु हथियार का इस्तेमाल
वहीं रूस के प्रेसीडेंट व्लादिमीर पुतिन पहले ही कह चुके हैं कि वह इस तरह के मिसाइल हमले को वह नाटो का युद्ध में सीधे शामिल होना मानेंगे। रूस की ओर से ऐसे संकेत भी मिले हैं कि यूक्रेन के पश्चिमी मिसाइलों के इस्तेमाल पर प्रतिक्रिया में परमाणु हथियार इस्तेमाल किए जा सकते हैं। साफ है कि रूस की जवाबी आक्रामक कार्रवाई किसी बड़ी लड़ाई की शुरुआत भी कर सकती है, जिसके तीसरे विश्व युद्ध जैसी शक्ल लेने से भी इनकार नही किया जा सकता है।
व्लादिमीर पुतिन ने पास किया नया वार नियम
जंग के बीच व्लादिमीर पुतिन ने एक ऐसा नियम पास कर दिया है, जिससे अगर रूस की सरजमीं पर अमेरिकी मिसाइल गिरी तो दुनिया भर में तबाही आना तय है। राष्ट्रपति पुतिन ने नए न्यूक्लियर सिद्धांत पर हस्ताक्षर कर परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के नियमों में बड़े बदलाव को मंजूरी दे दी है। नए न्यूक्लियर सिद्धांत के अनुसार, अगर किसी न्यूक्लियर ताकत वाले देश की मदद से रूस की जमीन पर कन्वेंशनल मिसाइल हमला होता है तो वह ऐसी स्थिति में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के लिए स्वतंत्र होगा। रूस के न्यूक्लियर सिद्धांत में बदलाव की प्रक्रिया कई महीनों से चल रही थी, लेकिन पुतिन ने इसी हफ्ते बदलाव को मंजूरी देकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के उस फैसले का जवाब दिया है।
एयरक्राफ्ट के अटैक को भी शामिल किया
रूस ने इस बदलाव में कन्वेंशनल मिसाइल के हमले के साथ-साथ ड्रोन या दूसरे एयरक्राफ्ट के अटैक को भी शामिल किया है। न्यूक्लियर सिद्धांतों में हुए बदलाव के अनुसार, रूस के खिलाफ किया गया ऐसा आक्रमण, अगर किसी गठबंधन के सदस्य देश की ओर से होता है तो मॉस्को इस आक्रमण को पूरे गठबंधन की ओर से किया गया हमला मानेगा। यानी अगर अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल रूस के खिलाफ होता है तो रूस इसके लिए पूरे नाटो गठबंधन को जिम्मेदार मानेगा।