High Court On EWS Reservation: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में आर्थिक पिछड़ा वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को आरक्षण का लाभ देने की मांग को नामंजूर कर दिया है। कोर्ट ने इस संबंध में दाखिल अपीलें खारिज कर दीं। हाईकोर्ट का मानना है कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के समय ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू हो चुका था, लेकिन अब नियुक्ति पूरी हो चुकी है और चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति मिल चुकी है, जिनकी नियुक्ति पर कोई चुनौती नहीं दी गई। ऐसे में कोर्ट ने 69000 शिक्षक भर्ती में ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू करने का आदेश देने से इनकार कर दिया।
High Court के फैसले में यह स्पष्ट किया गया कि 69000 सहायक अध्यापक भर्ती की प्रक्रिया 17 मई 2020 को शुरू हुई थी, और उस समय प्रदेश में ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू था। इसके बावजूद नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति हो चुकी है। इसलिए, कोर्ट ने याचियों को ईडब्ल्यूएस आरक्षण देने का आदेश नहीं दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि चयनित अभ्यर्थियों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी कि वे ईडब्ल्यूएस वर्ग के हैं, क्योंकि आवेदन करते समय अभ्यर्थियों ने अपने ईडब्ल्यूएस स्टेटस का विवरण नहीं दिया था। इस कारण से यह तय करना मुश्किल था कि कौन अभ्यर्थी इस आरक्षण के पात्र होते।
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हाईकोर्ट के फैसले में न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि की खंडपीठ ने शिवम पांडेय व अन्य अपीलों पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। याचियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे और जीके सिंह ने तर्क दिया कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण की योजना 12 जनवरी 2019 को संविधान में 103वें संशोधन के जरिए लागू की गई थी और राज्य सरकार ने 2020 में इसे लागू किया। लेकिन राज्य सरकार ने 18 फरवरी 2019 को कार्यालय ज्ञापन जारी कर ईडब्ल्यूएस आरक्षण की घोषणा पहले ही कर दी थी।
हालांकि, High Court ने यह भी माना कि जब 69000 सहायक अध्यापक भर्ती का विज्ञापन जारी हुआ, तब ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू था। फिर भी, भर्ती प्रक्रिया पूरी होने और चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति के बाद इस आरक्षण का लाभ देने का आदेश नहीं दिया जा सकता।