Mahakumbh 2025 : नागा साधु क्यों निकालते हैं शोभायात्रा, जानें क्या है इसका शिवजी से संबंध

महाकुंभ में नागा साधुओं का जुलूस भगवान शिव की बारात का प्रतीक है। यह जुलूस उस वादे का जीवित प्रमाण है जो भगवान शिव ने नागा साधुओं से किया था। जुलूस में भाग लेकर श्रद्धालु भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और अपनी भक्ति को और मजबूत करते हैं।

Naga Sadhu procession significance

Naga Sadhu procession significance : महाकुंभ मेला एक ऐसा धार्मिक आयोजन है, जिसमें लाखों श्रद्धालु आते हैं। यह मेला हर 12 साल में प्रयागराज (इलाहाबाद) के त्रिवेणी संगम पर आयोजित होता है। महाकुंभ में एक खास आकर्षण होता है नागा साधुओं का जुलूस। ये साधु बहुत श्रद्धा और भक्ति के साथ शोभायात्रा निकालते हैं, जो भगवान शिव से जुड़ी हुई होती है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर नागा साधु शोभायात्रा क्यों निकालते हैं और इसका भगवान शिव से क्या संबंध है।

शिवजी की बारात और शोभायात्रा का महत्व

महाकुंभ में जब पहला शाही स्नान होता है, उसके पहले एक भव्य शोभायात्रा निकलती है। इसमें हजारों की संख्या में नागा साधु हिस्सा लेते हैं। इस शोभायात्रा का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव की शादी के समय की बारात को याद करना और उसका पूजन करना होता है। यह शोभायात्रा भगवान शिव के जुलूस का प्रतीक है और इसे भगवान शिव के भक्तों की भक्ति के रूप में देखा जाता है।

शिव की बारात की कहानी

कई साल पहले जब भगवान शिव ने देवी पार्वती से शादी करने के लिए कैलाश पर्वत की ओर यात्रा की, तो उनकी बारात बेहद शानदार थी। शिव की बारात में न केवल देवता और ऋषि-मुनि शामिल थे, बल्कि पृथ्वी के सभी जीव-जंतु भी इस बारात में थे। यह बारात बहुत भव्य थी, जिसमें गंधर्व, यक्ष, तांत्रिक, ग्रह और अन्य देवता शामिल थे।
क्यों नहीं थे नागा साधु शिव की बारात में?

कहानी के अनुसार, जब भगवान शिव अपनी बारात के साथ वापस कैलाश लौट रहे थे, तो रास्ते में उन्होंने कुछ नागा साधुओं को देखा, जो सिर झुकाए खड़े थे। इन साधुओं ने भगवान शिव की बारात देखी, लेकिन वे उसमें शामिल नहीं हो पाए थे। जब भगवान शिव ने उनसे पूछा, तो साधुओं ने बताया कि वे इतने लीन थे भगवान शिव की तपस्या में, कि वे बारात में शामिल नहीं हो सके।

भगवान शिव का वादा

भगवान शिव अपने भक्तों के प्रति बहुत दयालु और कोमल हैं। शिव ने उन साधुओं से वादा किया कि एक दिन वे इन्हें शाही जुलूस निकालने का अवसर देंगे। इसी वादे के बाद से नागा साधु महाकुंभ मेला में शाही जुलूस निकालते हैं। यह जुलूस भगवान शिव की उपस्थिति और उनके भक्तों की भक्ति का प्रतीक बन गया है।

नागा साधु का जुलूस और इसका महत्व

नागा साधु भगवान शिव के सच्चे भक्त माने जाते हैं। उनका जुलूस शिव की बारात का प्रतीक है। इसमें नागा साधु पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ चलते हैं। यह जुलूस उनका सपना और भगवान शिव से किया वादा है। श्रद्धालु इस जुलूस में भाग लेकर भगवान शिव के आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं।

महाकुंभ में जब नागा साधु का जुलूस निकलता है, तो उनकी साधना और तपस्या साफ दिखती है। उनका शरीर भभूत से ढका होता है और रुद्राक्ष की माला पहनते हैं। इस जुलूस में शामिल होकर श्रद्धालु भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और अपने जीवन को ऊंचाई तक ले जाते हैं।

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