Premanand Maharaj News: सऊदी अरब के मदीना में उमरा की यात्रा पर गए प्रयागराज के सूफियान इलाहाबादी ने जब संत प्रेमानंद महाराज के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए हाथ उठाकर दुआ मांगी और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया, तो उन्हें इंटरनेट पर धमकियों का सामना करना पड़ा। यह घटना उस समावेशी भारतीय संस्कृति पर कट्टरपंथी मानसिकता के हमले को दर्शाती है, जिसे सूफियान ‘गंगा-जमुनी तहज़ीब’ कहते हैं। उन्होंने साफ शब्दों में कहा, “क्या हिंदू, क्या मुसलमान, सिर्फ इंसान होना चाहिए,” लेकिन कुछ संकीर्ण सोच वाले तत्वों को एक मुस्लिम युवक का एक हिंदू संत के लिए दुआ मांगना नागवार गुजरा। धमकाए जाने पर भी सूफियान अपने नेक इरादे पर अडिग हैं।
उन्होंने दृढ़ता से कहा है कि वह ‘Premanand Maharajजी के लिए जान भी दे सकते हैं’ क्योंकि वे सच्चे इंसान हैं और हमेशा भलाई की बात करते हैं। उनका यह कदम धर्म और मजहब की दीवारों से ऊपर उठकर मानवीयता, प्रेम और सद्भावना के मूल्यों को प्रदर्शित करता है, जिस पर भारत की नींव टिकी हुई है। यह घटना देश की धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को चुनौती देने वाले चरमपंथी विचारों की बढ़ती मौजूदगी को भी उजागर करती है।
You can't pray for Hindu Sant in Madina
Prayagraj's Sufiyan Gets Threats After Video of Prayers for Hindu Seer Goes Viral
Sufiyan Ilahabadi from #Prayagraj, who posted a video praying for seer Swami Premanand Maharaj while in Medina, is now receiving threat calls.
The viral… pic.twitter.com/3jybpjhIdT
— Atulkrishan (@iAtulKrishan1) October 14, 2025
प्रयागराज के नखास कोना निवासी सूफियान ने अक्टूबर 2025 में मदीना से 1 मिनट 20 सेकेंड का वीडियो पोस्ट किया था। वीडियो में उन्होंने प्रेमानंद महाराज की फोटो दिखाकर उन्हें ‘हमारे हिंदुस्तान के बहुत अच्छे इंसान’ बताया और उनके स्वास्थ्य के लिए अल्लाह से दुआ की। उन्होंने कहा कि वह मक्का के उस पवित्र स्थान पर हैं जहां सारे मैल धुल जाते हैं और सच्चा इंसान होना ही सबसे बड़ी पहचान है।
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वीडियो वायरल होते ही, सूफियान को सोशल मीडिया पर धमकियां मिलने लगीं, लेकिन इन धमकियों के साथ ही उनके समर्थकों का सैलाब भी उमड़ पड़ा। सूफियान ने बताया कि हजारों लोगों ने उनके पक्ष में कमेंट किए, जिससे उनका हौसला और बढ़ा। वीडियो डिलीट करने की मांग पर उन्होंने स्पष्ट किया, “चंदन और टोपी से लोगों की पहचान नहीं होनी चाहिए।” उनका यह बयान कट्टरपंथियों को एक सीधा संदेश है कि इंसानियत की पहचान पहनावे या धार्मिक चिन्हों से नहीं होती।
सूफियान के इस कदम को देवबंदी उलेमा का भी समर्थन मिला है। देवबंदी उलेमा कारी इश्हाक गौरा ने संत Premanand Maharaj की तारीफ करते हुए कहा कि उनका भगवान से बहुत गहरा ताल्लुक है और वह धर्म को सच्चे तरीके से निभा रहे हैं। उन्होंने प्रेमानंद महाराज को उन धर्मगुरुओं से अलग बताया जो संत का चोला पहनकर राजनीति करते हैं। गौरा ने प्रेमानंद महाराज के बेहतर स्वास्थ्य के लिए दुआ की और सभी से उनके लिए प्रार्थना करने की अपील भी की। सूफियान और उलेमा का यह कदम साबित करता है कि धार्मिक सद्भाव और आपसी सम्मान भारतीय समाज की मूल पहचान है, जिस पर कुछ मुट्ठी भर चरमपंथी अपनी धमकियों से आंच नहीं डाल सकते। यह घटना दिखाती है कि प्रेम और इंसानियत की आवाज़ कट्टरता की धमकियों से कहीं ज़्यादा बुलंद है।