Rampur SP conflict: रामपुर की सियासत में एक नया तूफ़ान खड़ा हो गया है! समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और कद्दावर मुस्लिम चेहरा आजम खान और Rampur के मौजूदा सपा सांसद मोहिब्बुल्लाह नदवी के बीच की तकरार अब खुलकर सामने आ गई है। नदवी ने आजम खान पर तीखा और विस्फोटक पलटवार करते हुए साफ़ शब्दों में कह दिया है, “मेरी शराफत को कमजोरी न समझा जाए।” यह बयान ऐसे समय आया है जब बीते बुधवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रामपुर पहुंचकर आजम खान से मुलाकात की, लेकिन यह मुलाकात भी नदवी और आजम के बीच की खाई को पाट नहीं सकी।
दरअसल, अखिलेश से मुलाकात से पहले आजम खान की शर्त थी कि उनके साथ कोई तीसरा व्यक्ति नहीं होना चाहिए, और उनका सीधा इशारा सांसद नदवी की ओर था, जिसकी वजह से नदवी को बरेली में ही रुकना पड़ा। आजम खान के इस ‘अस्वीकार’ ने नदवी को भड़का दिया है, और अब उन्होंने आजम को खुली चुनौती दे डाली है, जिससे पार्टी के भीतर नई ‘जंग’ शुरू हो गई है। यह सिर्फ दो नेताओं के बीच का झगड़ा नहीं, बल्कि रामपुर की राजनीति में वर्चस्व, सम्मान और ‘बुजुर्गों’ को दी जाने वाली नसीहत का मामला बन गया है।
नदवी का तीखा वार: ‘बुजुर्गों को सुधार करना चाहिए’
Rampur सपा सांसद मोहिब्बुल्लाह नदवी ने एक निजी चैनल को दिए साक्षात्कार में अपनी भड़ास खुलकर निकाली। उन्होंने आजम खान के उस बयान पर पलटवार किया, जिसमें आजम ने कथित तौर पर उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया था। नदवी ने दो टूक कहा कि उन्हें आजम खान के ‘जानने या न जानने’ से कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि उन्हें रामपुर की 25 लाख आबादी ने चुना है, और जनता उन्हें जानती है—यही उनके लिए सबसे बड़ी गर्व की बात है।
नदवी ने नसीहत भरे लहजे में कहा कि वह बुजुर्गों का सम्मान करते हैं, लेकिन “हर व्यक्ति को अपनी गलतियों में सुधार करना चाहिए।” उन्होंने यह भी खुलासा किया कि उन्होंने कई बार आजम खान से मुलाकात की कोशिश की। “ईद के दिन मैं खुद मिलने गया, संदेश भी भेजा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। जेल से रिहाई के बाद भी मैंने पहल की, पर उन्होंने कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया। अब मैं क्या करूं?” नदवी ने सवाल किया।
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नदवी ने आजम खान की ‘नवाबी’ को भी चुनौती देते हुए कहा कि “नवाब बड़े हों या छोटे, उनकी नवाबी जनता ने तय की। शख्स बड़ा नहीं होता, जनता बड़ी होती है।” उन्होंने आजम को यह भी याद दिलाया कि ‘जो लोग कह रहे हैं कि मुझे जानते नहीं’, उन्हें साफ कर दूं कि “मेरी सात पीढ़ी के बुजुर्गों की कब्रें रामपुर में हैं,” जबकि आजम के बुजुर्गों का ताल्लुक बिजनौर से है। सांसद ने जोर देकर कहा कि “मुझे 2024 में हमारे कौमी सदर अखिलेश यादव जी ने रामपुर की नुमाइंदगी के लिए उतारा और महज 19 दिन में यहां की अवाम ने मुझे अपना लीडर चुना, फिर किसी शख्स के जानने-न-जानने से मुझ पर कोई फर्क नहीं पड़ता।”
नदवी का यह आक्रामक रुख सपा के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। Rampur की सीट पर नदवी को टिकट मिलने के बाद से ही आजम खान नाराज चल रहे थे। अब नदवी के इस ‘शराफत’ वाले पलटवार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह आजम खान के दबदबे को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं, और रामपुर की सियासत में अपनी एक स्वतंत्र और मजबूत पहचान बनाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। यह तकरार अब सिर्फ रामपुर ही नहीं, बल्कि पूरी उत्तर प्रदेश की सियासत में चर्चा का विषय बन गई है कि क्या सपा का शीर्ष नेतृत्व इस आंतरिक कलह को संभाल पाएगा।