Red Fort Blast: दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर-4 के पास सोमवार को एक कार में अचानक जोरदार धमाका हुआ। धमाका इतना शक्तिशाली था कि इसका असर करीब 200 मीटर तक महसूस किया गया। चारों ओर अफरा-तफरी मच गई और कई वाहन इसकी चपेट में आ गए।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, धमाके के बाद कार आग के गोले में बदल गई। आसपास खड़ी छह गाड़ियाँ जल गईं और 20 से ज़्यादा वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। मौके पर पहुंचे दमकल कर्मियों ने आग पर काबू पाया और घायलों को तुरंत लोक नायक अस्पताल पहुंचाया गया, जहां 24 से अधिक लोग गंभीर हालत में भर्ती हैं।
शुरुआती जांच में यह मामला आतंकी साजिश की ओर इशारा करता दिख रहा है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, धमाका साधारण नहीं था, बल्कि एक बड़ा विस्फोट था। खास बात यह है कि घटना स्थल पर कोई गड्ढा नहीं बना और न ही घायलों के शरीर पर कील या तार के निशान मिले हैं, जो आम तौर पर आतंकी हमलों में पाए जाते हैं।
घायलों के चेहरे और शरीर पर जलने या कालेपन के निशान भी नहीं हैं, जिससे लगता है कि यह धमाका पारंपरिक विस्फोटक से अलग तरह का था। यही कारण है कि पुलिस इसे एक असामान्य ब्लास्ट मानकर हर कोण से जांच कर रही है।
गाड़ी की पहचान और संदिग्ध कड़ी
पुलिस की स्पेशल सेल और फोरेंसिक टीम उस गाड़ी के टूटे हिस्सों से उसका नंबर ट्रेस करने में जुटी है। जांच में पता चला है कि यह गाड़ी नदीम खान के नाम पर रजिस्टर्ड थी, लेकिन असल मालिक सलमान था, जिसने इसे करीब डेढ़ साल पहले ओखला निवासी देवेंद्र को बेच दिया था।
अब जांच एजेंसियों के सामने सवाल यह है कि
क्या यह गाड़ी किसी आतंकी नेटवर्क का हिस्सा थी?
या फिर यह सिर्फ एक पुरानी गाड़ी थी जो गलत हाथों में पहुँच गई?
विस्फोट की गूंज चार किलोमीटर दूर तक सुनाई दी। पुलिस अब इस गाड़ी के सभी दस्तावेज, मालिकाना हक और बिक्री के रिकॉर्ड खंगाल रही है।
जांच एजेंसियों की कड़ी निगरानी
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल, एनआईए और एनएसजी ने मिलकर जांच शुरू कर दी है। टीम यह पता लगाने में जुटी है कि क्या सलमान, नदीम या देवेंद्र का किसी आतंकी संगठन से संबंध है, या फिर यह गाड़ी किसी गैंग या नेटवर्क द्वारा चोरी की गई थी।
फिलहाल, जांच का हर धागा अब इसी HR26-7674 नंबर की कार से जुड़ रहा है। पुलिस का कहना है कि जब तक फोरेंसिक रिपोर्ट नहीं आ जाती, किसी नतीजे पर पहुँचना जल्दबाज़ी होगी।
