रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड (RIL) पर लगभग 1.55 अरब डॉलर (USD) की कीमत की गैस चोरी का गंभीर आरोप लगा है। यह विवाद भारत के कृष्णा-गोदावरी बेसिन (KG-D6) में ONGC की गैस निकालने और रियलायंस के हाथों निषिद्ध स्ट्रक्चर में जाने को लेकर है।
मामले की प्रमुख तथ्यात्मक जानकारी
- आरोप: याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि RIL ने 2004 से 2013-14 के बीच क्रॉस ड्रिलिंग (पहाड़ी खुदाई के जरिए) ONGC के क्षेत्रों से अज्ञात तौर पर गैस निकाली।
- जांच: ONGC ने 2013 में अनाधिकृत गैस निकासी का प्रमाण पाया और सरकार को रिपोर्ट किया।
- स्वतंत्र जांच: D&M (DeGolyer and MacNaughton) की स्वतंत्र जांच और बाद में A.P. शाह कमेटी ने 1.55 अरब डॉलर से ज़्यादा मूल्य की चोरी की पुष्टि की, साथ ही इस रकम पर $174.9 मिलियन का ब्याज भी जोड़ा।
- रिलायंस की दलील: कंपनी का दावा रहा है कि ये गैस “माइग्रेटरी” थी— यानी नैसर्गिक रूप से दोनों क्षेत्रों (ONGC-RIL) में प्रवाही, और इसका दोहन नियम के अनुसार किया गया।
ट्रायल व लीगल अपडेट:
- पहले अंतरराष्ट्रीय आर्बिट्रेशन ने रिलायंस के पक्ष में फैसला दिया था, लेकिन फरवरी 2025 में दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार की अपील मंजूर कर वह फैसला पलट दिया।
- अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने याचिका के बाद रिलायंस और निदेशकों (मुकेश अंबानी समेत) पर सीबीआई जांच की नोटिस जारी की है।
- याचिका में संबंधित डॉक्युमेंट्स, अनुबंध, जाँच रिपोर्ट तथा कमेटी फाइंडिंग को जब्त करने की मांग की गई है।
मामला क्यों चर्चा में है?
- यह भारत के तेल एवं गैस क्षेत्र का अब तक का सबसे बड़ा ‘गैस चोरी विवाद’ है।
- सरकारी स्तर पर भी रिलायंस पर लगभग ₹23,300 करोड़ ($2.81 बिलियन) की अतिरिक्त मांग उठाई गई है।
- यह विवाद बड़े कॉर्पोरेट्स, सार्वजनिक संपत्ति के दोहन, और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के लिहाज से मील का पत्थर माना जा रहा है.

