Ahoi Ashtami 2024 : अहोई अष्टमी का व्रत माताओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है, विशेष रूप से उनके लिए जो अपने बच्चों की दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाए जाने वाले इस व्रत में महिलाएं दिनभर निर्जला रहकर माता अहोई की विधिपूर्वक पूजा करती हैं। इस दिन पूजा का सही तरीके से संपादन करने से माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जबकि कुछ गलतियां पूजा के फल को निष्फल कर सकती हैं। इसलिए, इस दिन कुछ कामों से बचना बेहद जरूरी होता है।
झूठ बोलने से बचें
अहोई अष्टमी का व्रत सच्चाई और निष्ठा के साथ करना चाहिए। इस दिन झूठ बोलना व्रत के पुण्य को नष्ट कर सकता है।
किसी को अपशब्द न कहें
व्रत के दिन गुस्सा, कटु शब्द, या किसी प्रकार की विवादित स्थिति से दूर रहें। शांति और संयम बनाए रखना महत्वपूर्ण होता है।
सुई, चाकू, कैंची का प्रयोग न करें
इस दिन सुई या किसी भी नुकीले वस्त्र सिलाई संबंधी कार्य करने से बचना चाहिए। इसे अशुभ माना जाता है।
मांस, मदिरा का सेवन न करें
व्रत के दिन मांसाहार, शराब, और नशे से संबंधित वस्तुओं का सेवन पूर्णतया वर्जित है। सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए, वह भी सूर्योदय के बाद नहीं।
दूसरों की निंदा न करें
किसी की निंदा या बुराई करने से व्रत की पवित्रता प्रभावित होती है। इस दिन दूसरों के प्रति अच्छे विचार और सद्भावना रखनी चाहिए।
सूर्यास्त के बाद भोजन न करें
व्रती महिलाएं सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करती हैं। व्रत का पारण रात को तारों को देखने के बाद किया जाता है।
किसी प्रकार की नकारात्मक सोच से बचें
अहोई अष्टमी के व्रत के दौरान मन में कोई नकारात्मक विचार नहीं लाना चाहिए। यह व्रत माताएं अपनी संतान की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं, इसलिए सकारात्मकता बनाए रखना जरूरी है।
आलस्य और अस्वच्छता से बचें
व्रत के दौरान आलस्य या शरीर और घर की अस्वच्छता से बचें। स्वच्छता और पवित्रता बनाए रखना शुभ माना जाता है। इन बातों का ध्यान रखते हुए अहोई अष्टमी व्रत करने से माता अहोई का आशीर्वाद मिलता है और संतान की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना पूर्ण होती है।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है. news1india.in इन मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता है. यहां पर दी गई किसी भी प्रकार की जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य ले लें.