Airavatesvara temple history भगवान शिव की महिमा अपार है। उनकी शक्तियों के आगे शैतान ही नहीं, देवता भी नतमस्तक रहते हैं। जब भी देवताओं पर कोई संकट आया है, भोलेनाथ ने हमेशा उनकी रक्षा की है। यही वजह है कि भगवान शिव को सर्वोच्च माना जाता है। शिवजी के भक्त पूरे साल उनकी पूजा करते हैं और पूरे देश में उनके हजारों मंदिर मिल जाएंगे। इनमें से कुछ नए मंदिर हैं, तो कुछ सदियों पुराने। ऐसे ही एक पुराने और खास मंदिर की बात करेंगे, जो 12वीं शताब्दी में बना था। इस मंदिर की सबसे अनोखी बात यह है कि इसकी सीढ़ियों से संगीत की धुन निकलती है। चलिए, इस रहस्यमयी मंदिर के बारे में जानते हैं।
कहां है ये अनोखा मंदिर
इस मंदिर का नाम ऐरावतेश्वर मंदिर है, जो तमिलनाडु के कुंभकोणम में स्थित है। यह भगवान शिव को समर्पित मंदिर है, जिसे 12वीं शताब्दी में राजा राज चोल द्वितीय ने बनवाया था। यह मंदिर धार्मिक महत्व के साथ-साथ शानदार वास्तुकला के लिए भी प्रसिद्ध है। इसकी सुंदर नक्काशी और भव्य डिजाइन लोगों को आकर्षित करती है।
मंदिर का नाम ‘ऐरावतेश्वर’ क्यों पड़ा
ऐरावतेश्वर मंदिर का नाम देवताओं के राजा इंद्र के सफेद हाथी ‘ऐरावत’ के नाम पर पड़ा। मान्यता है कि ऐरावत ने यहां भगवान शिव की पूजा की थी और इसी वजह से इसे ऐरावतेश्वर मंदिर कहा जाता है।
मंदिर की अनोखी वास्तुकला और मूर्तियां
यह मंदिर शानदार कला और नक्काशी का बेहतरीन उदाहरण है। यहां पत्थरों पर सुंदर नक्काशी की गई है। मंदिर की बनावट द्रविड़ शैली में की गई है और इसमें रथ की आकृति भी देखी जा सकती है। इस मंदिर में आपको इंद्र, अग्नि, वरुण, वायु, ब्रह्मा, विष्णु, सूर्य, सप्तमातृका, दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी, गंगा, यमुना सहित कई वैदिक देवताओं की मूर्तियां देखने को मिलेंगी। हालाँकि, समय के साथ मंदिर के कुछ हिस्से टूट चुके हैं, लेकिन जो बचे हुए हैं, वे आज भी अपनी भव्यता बनाए हुए हैं।
मंदिर की सीढ़ियों से निकलती है संगीत की धुन
इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत इसकी संगीत बजाने वाली सीढ़ियां हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार पर बनी पत्थर की सीढ़ियों को जब छुआ जाता है या उन पर कुछ टकराता है, तो सात अलग-अलग ध्वनियां निकलती हैं। यह एक अनोखी और रहस्यमयी बात है, जो इस मंदिर को दूसरों से अलग बनाती है। इन सीढ़ियों पर चलते ही आपको संगीत की मधुर ध्वनि सुनाई देने लगती है।
कुंभकोणम मंदिर कैसे पहुंचे
यह मंदिर कुंभकोणम शहर से करीब 5 किलोमीटर दूर है। यहां पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा त्रिची अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो 70 किलोमीटर दूर स्थित है। कुंभकोणम का अपना रेलवे स्टेशन भी है, जो त्रिची, मदुरै, चेन्नई जैसे बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। यहां तक बस सेवाएं भी उपलब्ध हैं और शहर के अंदर घुमने के लिए कैब और ऑटो रिक्शा आसानी से मिल जाते हैं।
ऐरावतेश्वर मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि कला, इतिहास और विज्ञान का अद्भुत संगम है। इसकी नक्काशी, भव्य रचना और रहस्यमयी संगीत वाली सीढ़ियां इसे और भी खास बनाती हैं। अगर आप कभी तमिलनाडु जाएं, तो इस मंदिर को जरूर देखें। यह इतिहास, धर्म और विज्ञान का एक अनोखा संगम है, जो देखने लायक है।