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Ambubachi Mela 2025: कब से शुरू होगा,51 शक्तिपीठों में एक कामाख्या मंदिर का विशेष उत्सव

कामाख्या मंदिर का अंबुबाची मेला 22 जून यानी आज से शुरू हो रहा है। यह देवी के रजस्वला होने का प्रतीक है। भक्त इसे शक्ति का पर्व मानते हैं।

SYED BUSHRA by SYED BUSHRA
June 22, 2025
in धर्म
Ambubachi Mela 2025 Kamakhya Temple Festival
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Ambubachi Mela 2025:असम के गुवाहाटी में स्थित कामाख्या देवी मंदिर को देश के 51 शक्तिपीठों में एक खास स्थान प्राप्त है। यहां हर साल अंबुबाची मेले का आयोजन होता है, जिसे देखने और उसमें भाग लेने देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं। यह मेला 22 जून 2025 से शुरू होकर 26 जून तक चलेगा।

क्या है कामाख्या मंदिर की मान्यता?

पुरानी कथा के अनुसार, माता सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में शिवजी के अपमान से दुखी होकर अपने प्राण त्याग दिए थे। यह देखकर शिवजी बहुत दुखी हुए और माता सती के शरीर को लेकर पूरे ब्रह्मांड में घूमने लगे। इससे चारों ओर हाहाकार मच गया। तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े कर दिए। जहां-जहां उनके अंग गिरे, वहां शक्तिपीठ बने। माना जाता है कि गुवाहाटी के कामाख्या मंदिर में माता सती की योनि गिरी थी, इसलिए यह स्थान बेहद पवित्र माना जाता है।

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अंबुबाची मेला क्या है?

यह मेला देवी कामाख्या के सालाना मासिक धर्म (रजस्वला होने) से जुड़ा होता है। ऐसा माना जाता है कि इस समय देवी विश्राम करती हैं, इसलिए मंदिर के मुख्य गर्भगृह के कपाट तीन दिनों के लिए बंद कर दिए जाते हैं। इस दौरान कोई पूजा, दर्शन या धार्मिक क्रिया नहीं होती। चौथे दिन देवी को ‘शुद्धि स्नान’ कराया जाता है और फिर मंदिर के द्वार आम भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं।

इस मेले का धार्मिक महत्व

अंबुबाची मेला खासकर तांत्रिकों और साधकों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। देश के अलग-अलग हिस्सों से साधु-संत, तांत्रिक और श्रद्धालु इस पावन अवसर पर कामाख्या मंदिर पहुंचते हैं। इस मेले को ‘पूर्व का कुंभ’ भी कहा जाता है।

प्रसाद की खासियत

इस दौरान भक्तों को जो प्रसाद दिया जाता है, वह बहुत खास माना जाता है। कहा जाता है कि रजस्वला अवधि में देवी के पास सफेद कपड़ा रखा जाता है, जो बाद में लाल रंग में बदल जाता है। इसे प्रसाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है। मान्यता है कि इससे सुख-समृद्धि और आशीर्वाद मिलता है।

अंबुबाची मेला सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और शक्ति की उपासना का प्रतीक है। यह मेला महिलाओं की जैविक प्रक्रिया को सम्मान देने और प्रकृति की शक्तियों को स्वीकारने की परंपरा को भी दर्शाता है।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। news1india इन मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता है।

Tags: Ambubachi Spiritual EventKamakhya Temple Festival
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SYED BUSHRA

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