Baba Baidyanath Dham: झारखंड के देवघर में मौजूद बाबा बैद्यनाथ धाम न सिर्फ एक प्रसिद्ध मंदिर है, बल्कि एक ऐसा तीर्थ स्थल है, जहां भक्तों को भगवान शिव और मां शक्ति दोनों का आशीर्वाद एक ही स्थान पर मिलता है। यह मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यही वजह है कि इसकी मान्यता बेहद खास मानी जाती है।
एक मंदिर, दो दिव्य शक्तियाँ
इस मंदिर की सबसे अनोखी बात यह है कि यहां शिवलिंग के साथ शक्ति पीठ भी स्थित है, यानी एक ही स्थान पर शिव और शक्ति दोनों की पूजा होती है। भारत में यह एकमात्र ऐसा शिव मंदिर है, जहां यह दिव्य संगम देखने को मिलता है। इसी कारण इस स्थान को शक्तिपीठ भी कहा जाता है।
शक्तिपीठ की पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब माता सती ने अपने पिता राजा दक्ष द्वारा शिव का अपमान सहन नहीं किया, तो उन्होंने यज्ञ कुंड में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए। यह देखकर भगवान शिव बहुत दुखी और क्रोधित हो गए। उन्होंने सती के शरीर को अपने कंधे पर उठाकर तांडव करना शुरू कर दिया।
शिव के इस उग्र रूप से सृष्टि में प्रलय जैसी स्थिति बनने लगी। तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए, ताकि शिव का क्रोध शांत हो सके। जहां-जहां सती के अंग गिरे, वहां शक्तिपीठ बने। देवघर में माता सती का हृदय गिरा था, इसलिए इसे शक्तिपीठ माना जाता है।
पहले शक्ति, फिर शिव की स्थापना
देवघर में पहले शक्ति की स्थापना हुई और उसके बाद शिवलिंग की स्थापना की गई। इसी वजह से यहां आने वाले श्रद्धालु एक ही स्थान पर शिव और शक्ति दोनों की पूजा करते हैं। लोगों की मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मुराद जरूर पूरी होती है।
भक्तों की अटूट श्रद्धा
सावन के महीने में यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु कांवड़ लेकर बाबा के दर्शन करने आते हैं। हर साल यहां देश-विदेश से लोग आकर अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं और शिव-शक्ति के संयुक्त आशीर्वाद से अपने जीवन को धन्य मानते हैं।
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