Chardham Yatra 2025: श्रद्धा और संस्कृति से सजी बदरीनाथ यात्रा की शुरुआत आस्था से गूंज उठा धाम

बदरीनाथ धाम में श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा है। तीन चाबियों की परंपरा, फूलों की सजावट और प्रशासन की तैयारी ने इस यात्रा को और भी खास बना दिया है।

Chardham Yatra 2025: उत्तराखंड की पावन चारधाम यात्रा इस साल भी पूरे विधि-विधान के साथ शुरू हो गई है। पहले गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट 28 अप्रैल को खुले, फिर 2 मई को केदारनाथ धाम और आखिरकार 4 मई 2025 को बदरीनाथ धाम के द्वार भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिए गए। इस शुभ मौके पर देश के कोने-कोने से श्रद्धालु बदरीनाथ पहुंचे और भगवान बदरीविशाल के दर्शन कर पुण्य अर्जित किया।

बदरीनाथ के कपाट खोलने की खास परंपरा

बदरीनाथ मंदिर के कपाट खोलने की प्रक्रिया भी उतनी ही खास है जितनी इसकी मान्यता। मंदिर के मुख्य द्वार पर लगे ताले को तीन अलग-अलग चाबियों से खोला जाता है। पहली चाबी टिहरी राजपरिवार के प्रतिनिधि के पास होती है, जो मंदिर समिति की ओर से ताला खोलते हैं। दूसरी चाबी बामणी गांव के भंडारी थोक के पास होती है और तीसरी चाबी मेहता थोक के पास। ये प्राचीन परंपरा बदरीनाथ की सांस्कृतिक गहराई और धार्मिक महत्व को और मजबूत करती है।

फूलों और रोशनी से सजा बदरीनाथ धाम

कपाट खुलने से पहले बदरीनाथ धाम को 25 क्विंटल फूलों से सजाया गया। मंदिर को रंग-बिरंगी लाइटों से रोशन किया गया, जिससे पूरी घाटी एक अलग ही नजारे में नज़र आई। इस खास सजावट की जिम्मेदारी पिछले 20 सालों से ऋषिकेश के एक ही परिवार द्वारा निभाई जा रही है, जो इस परंपरा को पूरी श्रद्धा से निभा रहा है।

श्रद्धालुओं से गुलजार रहा धाम

कपाट खुलने के साथ ही हजारों की संख्या में श्रद्धालु बदरीनाथ धाम पहुंचे। भक्त‍ों की भीड़ और उनकी भक्ति ने वहां की रौनक और भी बढ़ा दी। chants, भजन और हर-हर महादेव के जयकारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा।

चारधाम यात्रा के लिए प्रशासन की तैयारी

चारधाम यात्रा को सुचारु और सुरक्षित बनाने के लिए प्रशासन ने पूरी तैयारियां की हैं। यात्रा मार्गों पर सुरक्षा, आवास और यातायात की उचित व्यवस्था की गई है। तीर्थयात्रियों से अनुरोध किया गया है कि वे यात्रा के नियमों का पालन करें, ताकि सभी को एक सुखद और यादगार अनुभव मिल सके।

मोक्ष की ओर एक पावन सफर

गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ को चारधाम कहा जाता है। मान्यता है कि इन चार धामों की यात्रा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। हर साल लाखों श्रद्धालु इस पवित्र यात्रा में शामिल होते हैं और उत्तराखंड की आस्था, संस्कृति और परंपरा को महसूस करते हैं।

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